नई दिल्ली. सनातन धर्म की सदियों पुरानी परंपराओं और बड़े आस्था के केंद्र धामों, मठों और मंदिरों की बड़ी तादाद है. हर धाम की अलग मान्यता, विशेषता और परंपरा है. आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में जहां की परंपराएं थोड़ी अटपटी हैं लेकिन सदियों से निभाई जा रही है. कई ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जहां प्रसाद के तौर पर मांस चढ़ाया और बांटा जाता है. कई मंदिरों में जावनरों की बलि दी जाती है और इसी मांस को भोग के तौर पर चढ़ाकर प्रसाद भी वितरित किया जाता है.

कालीघाट मंदिर, पश्चिम बंगाल – कोलकाता में मौजूद कालीघाट मंदिर मां काली को समर्पित है. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में शामिल किया जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती के पैर का एक अंगूठा गिरा था. करीब 200 साल पुराने इस मंदिर में पशु बलि दी जाती है.

विमला मंदिर, ओडिशा – पुरी में मौजूद मशहूर जगन्नाथ मंदिर परिसर के अंदर रोहिणी कुंड के पास ही विमला मंदिर मौजूद है. विमला को मंदिर परिसर की संरक्षक के तौर पर मान्यता है और भक्त इनकी पजा करते हैं. भगवान जगन्नाथ को प्रसाद तभी चढ़ाया जाता है जब विमला देवी को भोग लगा दिया जाता है. विशेष दिनों में विमला मंदिर में मांस और मछली का भोग लगाया जाता है.

मुनियांदी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु – मदुरै में वडक्कमपट्टी जैसे छोटे से गांव में मौजूद मुनियांदी स्वामी मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. हर साल यहां तीन दिनों का एक उत्सव मनाया जाता है. इस उत्सव में चिकन और मटन बिरयानी का प्रसाद तैयार किया जाता है.

तारकुल्हा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में मौजूद तारकुल्हा देवी मंदिर में हर साल खिचड़ी मेले का आयोजन किया जाता है. चैत्र नवरात्र में इस मंदिर में पूरे देश से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. एक खास वक्त में इस मंदिर में भक्त बकरे की बलि देते हैं और इसका प्रसाद बांटा जाता है.