लखनऊ: यूपी की नौ सीटों पर होने वाले वाले उपचुनावों में फतह हासिल करने के लिए भाजपा ने एक नई रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत हर सीट पर दस विधायक लगाए जा रहे हैं।
उपचुनाव में प्रदेश की भी नौ विधानसभा सीट जीतने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने जातीय समीकरण साधने पर खास फोकस करने का फैसला किया है। इस समीकरण के तहत पार्टी जहां जातीय लिहाज से हर सीटों पर 10-10 विधायकों को प्रचार में उतारने जा रही है, वहीं सांसदों को भी जिम्मेदारी देकर विपक्ष को तगड़ा टक्कर देने चक्रव्यूह तैयार किया है। पार्टी की तरफ से उपचुनाव के रण में विपक्ष के हर आरोपों का तथ्यों के साथ जवाब देने की भी रणनीति तैयार की गई है। इसके लिए भी मुद्देवार ‘सिलेबस’ तैयार किया गया है।
इसी कड़ी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बूथवार और शुक्ति केन्द्रों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मनमाने उम्मीदवारों को उतारे जाने से उपजी नाराजगी को दूर करने के उद्देश्य से ही इस बार सभी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में मंडल व जिला स्तरीय पदाधिकारियों से रायसुमारी की गई थी। इस वजह से घर बैठ चुके पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी फील्ड में उतारे गए हैं। यही नहीं घर-घर प्रचार करने के अभियान में इन कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। एक-एक कार्यकर्ता को 10-10 घरों के परिवारों से संपर्क व संवाद करने के साथ ही बूथ तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है।
उपचुनाव में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने चुनावी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। अब तय किया गया है कि जिस सीट पर जिस जाति की बहुलता होगी, उसी जाति के विधायक के नेतृत्व में एक विशेष टीम काम करेगी। इस टीम में भी उसी जाति के सर्वाधिक कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल किए जाएंगे। यानि सभी 10 विधायकों की जातिगत समीकरण के लिहाज से अलग-अलग टीम बनाकर प्रचार में उतारा जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने चुनाव प्रचार के लिए गठित सभी टीमों को छठ पर्व बीतने के बाद से ही फील्ड में सक्रिय रहने को कह दिया गया है। वहीं, 30 मंत्रियों की टीम के नीचे काम करने के लिए बनाई गई स्थानीय पदाधिकारियों की टीम में पिछड़े व दलित समाज के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को शामिल उनकी ही जाति की बस्तियों में कैंप करने को कहा गया है।