
मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में सरवट मदरसे के बड़े उस्तादों में शुमार कारी मुस्तफा साहब का इंतकाल हो जाने से क्षेत्र में गम का माहौल बन गया। उनके इंतकाल की खबर मिलने पर मुजफ्फरनगर के शहर व देहात के साथ ही आसपास के जनपदों से भी भारी संख्या में लोग सरवट मदरसा पर पहुंचे। उनके जनाजे में हजारों लोगों ने शिकरत करते हुए खिराजे अकीदत पेश की। मरहूम कारी मुस्तुफा साहब पिछले 40 या 45 साल से मदरसा महमूदिया सरवट में हिफ्ज के उस्ताद के फराइज अंजाम दे रहे थे और साथ ही सरवट गेट पर मौजूद इमली वाली मस्जिद मैं इमामत कर आते थे और मस्जिद के कमरे में ही अपनी पूरी जिंदगी बसर कर दी मरहूम कारी साहब के हजारों शागिर्द हिंदुस्तान के कोने-कोने मैं दीन की खिदमत अंजाम दे रहे हैं कारी साहब पिछले दो-तीन साल से बीमार चल रहे थे कारी मुस्तफा के शागिर्दो में सबसे खास नाम मदरसा महमूदिया के साबिक उस्ताद मरहूम हजरत कारी शौकत अली साहब का भी आता है।
कारी मुस्तफा साहब के इंतकाल की खबर सुनकर सरवट महमूदनगर और शहर के साथ जनपद मुजफ्फरनगर तथा गैर जनपदों में मौजूद उनके शागिर्द और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। कच्ची सड़क पर क्षेत्रीय दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर शोक व्यक्त किया।
कारी मुस्तफा के एक शागिर्द मोहम्मद सदाकत आलम निवासी सरवट ने बताया की मरहूम हजरत कारी मुस्तफा साहब की नमाजे जनाजा मुफ्ती मोहम्मद अरशद बझेडी द्वारा मदरसा महमूदिया सरवट में जुमे की नमाज के बाद अदा की गई, जिसमें पूर्व सांसद कादिर राणा एवं शहर के गणमान्य लोगों के साथ ही दूरदराज क्षेत्रों से आये हजारों लोगों ने शिरकत की। बाद में सरवट कब्रिस्तान में कारी मुस्तफा के जनाजे को सुपुर्दे खाक किया गया।
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