भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक और सामरिक साझेदारी के रूप में भी पीएम मोदी के इस दौरे को देखा जा रहा है. इन सारी अटकलों के बीच भारत में रूस के राजदूत डेनिस एलिपोव ने अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स से मंगलवार को कहा है कि रूस भारत को मांग के हिसाब से तेल देता रहेगा.

उन्होंने कहा कि दोनों देश ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं और व्यापार में असंतुलन को भी सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. एलिपोव ने कहा कि दोनों देश पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण नए भुगतान सिस्टम को लेकर भी काम कर रहे हैं.

राजदूत एलिपोव ने कहा कि वैकल्पिक भुगतान सिस्टम बनाने को लेकर काम चल रहा है. एलिपोव से पूछा गया कि चीन से रूस के गहराते संबंधों का असर क्या भारत और रूस के संबंधों पर उलटा पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”चीन की रूस में बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताने के बदले अच्छा यह होता कि भारतीय टिप्पणीकार रूसी बाज़ार में भारत के विस्तार को प्रोत्साहित करते.”

भारत में रूसी तेल जिस मात्रा में आ रहा है, क्या हमेशा यह जारी रहेगा? इसके जवाब में एलिपोव ने कहा, ”भारत में जब तक मांग रहेगी, आपूर्ति भी जारी रहेगी. तेल आपूर्ति की वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 44.4 अरब डॉलर तक पहुँच गया. भारत के कुल तेल आयात में रूस का हिस्सा एक तिहाई है. रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सबसे बड़ा हिस्सेदार बन गया है. हम भारत में लंबी अवधि की ऊर्जा आपूर्ति के लिए काम कर रहे हैं.”

एलिपोव ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है इसलिए ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है. रूसी राजदूत ने कहा कि ट्रेड का विस्तार करना है न कि एक ही टोकरी में सारे अंडे रखने हैं. भारत का 2021-22 में रूस से तेल आयात महज़ दो फ़ीसदी था, जो अब बढ़कर 20 फ़ीसदी से ज़्यादा हो गया है. रूस भारत के पारंपरिक तेल आपूर्तिकर्ता देश सऊदी अरब और इराक़ को पीछे छोड़ चुका है.

रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार भले बढ़कर 44 अरब डॉलर पहुँच गया है लेकिन इसमें बड़ा हिस्सा तेल आयात का है. भारत का रूस में निर्यात बहुत कम है. अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा 34.79 अरब डॉलर का था.

रूसी राजदूत से रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अरबों भारतीय रुपए पड़े हैं और रूस उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों देश वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था को लेकर काम कर रहे हैं. एलिपोव ने कहा कि रूस पश्चिम की वित्तीय व्यवस्था से अलग एक सिस्टम भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर बनाएगा.

चीन से गहाराते संबंधों पर एलिपोव ने कहा कि रूस किसी भी देश पर निर्भर नहीं होना चाहता है. रूसी राजदूत ने कहा, ”चीन या किसी अन्य देश के साथ आर्थिक संबंधों में विस्तार किसी का पॉलिटिकल टूल बनना नहीं है. रूस का भारत और चीन दोनों के साथ बेहतरीन संबंध हैं और ये संबंध पारस्परिक हितों पर आधारित हैं. हमारा कोई छुपा हुआ एजेंडा नहीं है.”

एलिपोव ने कहा, ”रूस चाहता है कि भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य हो. ऐसा यूरेशिया में स्थिरता के लिए ज़रूरी है. यूक्रेन संकट में भी भारत का रुख़ बताता है कि वह एक ज़िम्मेदार वैश्विक ताक़त की तरह पेश आया.”

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 7 जून को सांप्रदायिक तनाव के मामले में 400 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है और 38 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. सांप्रदायिक तनाव औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने से पैदा हुआ. हिंदू संगठन ने इसके ख़िलाफ़ शहर में बंद बुलाया था जहां पर हिंसा भड़क गई.

अख़बार लिखता है कि ये बंद किसी एक संगठन ने नहीं बल्कि सकल हिंदू समाज नाम के मंच ने बुलाया था जिसमें चार प्रमुख हिंदू संगठन शामिल थे. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज करके दो नाबालिग़ों और उनके चार साथियों को गिरफ़्तार किया था.

बजरंग दल के ज़िला संयोजक पराग फणनीस ने अख़बार से कहा कि ‘एक धर्म विशेष को सपोर्ट करने वाले कुछ लोगों के साथ पुलिस मिली हुई है इसलिए कार्रवाई नहीं कर रही थी, इस बात से नाराज़ भीड़ उग्र हो गई थी.’ कोरोना काल के बाद साल 2022 में विवाह पंजीकरण के कुल 1212 आवेदन मिले थे जबकि विवाह पूर्व पंजीकरण के कुल 1439 आवेदन दर्ज किए गए हैं.

कोर्ट मैरिज के ट्रेंड में बढ़ोतरी हुई है और साल 2023 में 18 जून तक विवाह पंजीकरण के लिए 566 आवेदन और विवाह पूर्व पंजीकरण के लिए 717 आवेदन आ चुके है वहीं बिहार में अंतरजातीय विवाह करने वाले को सालभर के अंदर विवाह का पंजीकरण करने पर सामाजिक कल्याण विभाग से दो लाख रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है.