बीजिंग: चीन का चांग’ई-4 स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के दूसरे हिस्से पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। यह स्पेसक्राफ्ट आश्चर्यजनक पैनोरमा को खींच रहा है और चंद्रमा के मैंटल से खनिजों का नमूना ले रहा है। इस स्पेसक्राफ्ट की खोज ने अब वैज्ञानिकों को चांद की परत को और बेहतर तरीके से देखने में सक्षम बना दिया है। इस खोज से अब वैज्ञानिक चंद्रमा के ऊपरी सतह के 1000 फीट को कहीं अधिक सूक्ष्मता के साथ देख सकते हैं। इस अध्ययन का परिणाम 7 अगस्त को जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च प्लैनेट्स में प्रकाशित हुआ है, जो अरबों वर्षों के छिपे हुए चंद्रमा के इतिहास को दिखाते हैं।
चांग’ई-4 के साथ युतु-2 नाम का एक रोवर भी चंद्रमा पर भेजा गया था। यह रोवर लूनर पेनेट्रेटिंग रडार (LPR) नाम की टेक्नोलॉजी से लैस है। एरिजोना के टक्सन में प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के खगोलीय शोधकर्ता और इस अध्ययन के लेखक जियानकिंग फेंग ने कहा, ‘यह उपकरण रोवर को चांद की सतह में गहराई तक रेडियो सिग्नल भेजने में सक्षम बनाता है। इसके बाद यह टकराकर आने वाले सिग्नल को सुनता है।’ वैज्ञानिक चंद्रमा की उपसतह का नक्शा बनाने के लिए इन वापस आने वाली तरंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
साल 2020 में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह के ऊपरी 40 मीटर को मैप करने के लिए युतु-2 के एलपीआर का इस्तेमाल किया था। लेकिन अभी तक यह और गहराई में नहीं पहुंचा था। फेंग ने कहा कि अभी जो आंकड़े आए हैं, उनसे पता चलता है कि चंद्रमा की सतह से 130 फीट की गहराई तक का हिस्सा धूल, मिट्टी और टूटी चट्टानों की कई परतों से बना है। यह सभी एक क्रेटर में मिलीं, जो एक बड़ी टक्कर के बाद बना होगा। फेंग और उनके सहयोगियों का अनुमान है कि टक्कर के कारण इस संरचना के आसपास का मलबा बाहर निकला। इसके नीचे वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के लावा की पांच अलग-अलग परतों की खोज की है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारा चंद्रमा 4.51 अरब साल पहले बना था। तब मंगल ग्रह के आकार की एक वस्तु पृथ्वी से टकराई थी और हमारे ग्रह का एक हिस्सा टूट गया था। इसके बाद 20 करोड़ वर्षों तक अंतरिक्ष से चंद्रमा पर चीजें गिरती रहीं। इनमें दरारें थीं, जिनमें लावा बहता था। चांग’ई-4 के नए डेटा से पता चलता है कि समय के साथ यह प्रक्रिया धीमी होती जा रही है। माना जाता है कि आज से एक अरब साल पहले चंद्रमा पर ज्वालामुखीय गतिविधियां खत्म हो गईं।