नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्र का खास महत्व और मान्यता है। साल की दूसरी छमाही में होने पड़ने वाले नवरात्र इसलिए भी अहम है, क्योंकि इसके साथ ही देश में फेस्टिवल सीजन शुरू हो जाता है। इसके दो महीने के भीतर दिवाली, दशहरा और करवा चौथ समेत दर्जनभर से अधिक त्योहार और पर्व पड़ते हैं।
देश-दुनिया में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाने वाले नवरात्र की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। 27 सितंबर से शुरू होने वाले नवरात्र में एक सप्ताह से भी कम का समय बचा है, इसलिए इससे संबंधित तारीख और पूजा आदि के बारे में जरूर जान लें, ताकि त्योहार को लेकर किसी तरह को भ्रम ना रहे।
वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार, नवरात्र प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। इस लिहाज से इस साल नवरात्र का त्योहार 26 सितंबर (सोमवार) से शुरू हो रहा है। नवरात्रि यानी 9 रातें।
हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा को अपने घर में स्थापित किया जाता है। इस दौरान यानी 9 दिनों तक मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति रखी जाती है। हिंदू धर्म में इस दौरान लोग मां मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्र का महत्व और मान्यता इस बात से पता चलती है कि यह 9 दिवसीय त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। भारत विविध मान्यताओं और आस्थाओं का देश है, इसलिए नवरात्र अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है। बावजूद इसके एकरूपता भी होती है। मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन में घटस्थापना की जाती है। इसके साथ ही यानी घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है।
हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का संबंध भगवान श्रीराम से है। माना जाता है कि राम ने ही इस नवरात्र की शुरुआत की थी। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा शुरू की। श्रीराम ने यह पूजा लगातार 9 दिनों तक पूरे विधि-विधान के साथ की। इसके बाद 10वें दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दिया था। यही कारण है कि शारदीय नवरात्र में 9 दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद 10वें दिन देशभर में दशहरा त्योहार मनाया जाता है।
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री पूजा) 27 सितंबर, दिन सोमवार
द्वितीया तिथि (मां ब्रह्मचारिणी पूजा) 28 सितंबर, दिन मंगलवार
तृतीया तिथि (मां चंद्रघंटा पूजा) 29 सितंबर, दिन बुधवार
चतुर्थी तिथि (मां कूष्मांडा पूजा) 30 सितंबर, दिन बृहस्पतिवार
पंचमी तिथि (मां स्कंदमाता पूजा) 01 अक्टूबर, दिन शुक्रवार
षष्ठी तिथि (मां कात्यायनी पूजा) 02 अक्टूबर, दिन शनिवार
सप्तमी तिथि (मां कालरात्रि पूजा) 03 अक्टूबर, दिन रविवार
अष्टमी तिथि (मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा) 04 अक्टूबर
दशमी तिथि, दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी (दशहरा) 05 अक्टूबर
नवरात्रि त्योहार मनाने की कड़ी में पहले दिन यानी 27 सितंबर दिन सोमवार को कलश स्थापना की जाएगी। हिंदू मान्यता के अनुसार, कलश स्थापना का सुबह का समय सर्वोत्तम माना गया है। पूजा की तैयारी की कड़ी में इस बार लोग 26 सितंबर की सुबह उठकर नहाकर साफ सुथरे कपड़े पहन लें, इसके बाद पूजा से जुड़े विधि-विधान करें।
पूजा कराने वाले जानकारों की मुताबिक, पहले दिन व्रत रखने के इच्छुक व्रत रखने का संकल्प लें। पूजा की तैयारी की कड़ी में किसी बर्तन या जमीन पर मिट्टी की थोड़ी ऊंची बेदी बनाकर जौ को बौ दें। अब इस पर कलश की स्थापना करें।
इसके बाद कलश में गंगा जल रखें और उसके ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखें और पूजन करें। पूजा के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। साथ ही इस दिन से 9 दिन तक अखंड दीप भी जलाया जाता है।