नई दिल्ली. पाकिस्तान और चीन के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं, लेकिन जब पाकिस्तान कंगाली की राह पर खड़ा तब चीन उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. जबकि, साल 2015 में जब चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की शुरुआत हुई थी, तब यह उम्मीद जताई गई थी कि चीन की तरह ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा. हालांकि, प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही दोनों देशों के बीच दूरी आ गई है, जबकि शुरुआत में इस प्रोजेक्ट को दोनों देशों की दोस्ती की पहचान बताया गया था.
पाकिस्तान के इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब कुल कर्ज का 25 फीसदी हिस्सा ही चीन के पास बकाया है. इसके अलावा पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति भी ठीक नहीं है. साथ ही भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से भी पाकिस्तान और चीन के बीच रिश्ते में खटास आ गई है, जिस वजह से चीन मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक बार फिर पाकिस्तान में एक्टिव हो गया है और आतंकी हमले करने लगा है. टीटीपी ने चीनी नागरिकों पर हमले किए, जो सीपीईसी के काम में लगे थे. इसके साथ ही स्थानीय लोगों ने भी अपने अधिकारों की मांग को लेकर ग्वादर आंदोलन शुरू कर दिया, जिसका असर सीपीईसी प्रोजेक्ट पर पड़ा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और बंदरगाह का विकास होना था, लेकिन आज कई पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट्स ठप पड़े हैं और साथ ही पाकिस्तान अपना वजूद तक खोता जा रहा है. इतना ही नहीं, सीपीईसी का दूसरा चरण शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान आर्थिक संकट से जुझने लगा.
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन चाहे तो पाकिस्तान को कंगाली से निकाल सकता है और इसके कुछ संकेत भी मिले थे. चीन पाकिस्तान को करीब 15 अरब डॉलर देने पर विचार कर रहा है, लेकिन फिलहाल वह पाकिस्तान के राजनीतिक हालातों को देखते हुए वेट एंड वॉच के सिचुएशन में है. चीन स्थिति साफ होने का इंतजार कर रहा है चुनाव के बाद कोई फैसला ले सकता है. वहीं, पाकिस्तान भी मदद के लिए पश्चिमी देशों की तरफ देख रहा है.