नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता शुक्रवार को रद्द कर दी गई। लोकसभा सचिवालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। राहुल को गुरुवार को सूरत की अदालत ने मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई थी।
सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना में लोकसभा सचिवालय की ओर से क्या कहा गया है? इस अधिसूचना का असर राहुल के चुनावी करियर पर क्या पड़ेगा? उनके पास आगे क्या विकल्प हैं? आइए जानते हैं…
लोकसभा सचिवालय की तरफ से इस बारे में सात पंक्तियों की एक अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की तरफ से दोषी करार दिए जाने के बाद केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य किया जाता है। यह अयोग्यता उन पर दोष साबित होने के दिन यानी 23 मार्च 2023 से लागू रहेगी। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (e) के प्रावधानों और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा आठ के तहत लिया गया है।
राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में गुरुवार को सूरत की अदालत ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत दे दी। इसके साथ ही उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी।
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
दरअसल, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस अधिनियम की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दे दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है। इसके साथ ही अगले छह साल के लिए वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है। राहुल की सांसदी चली गई है। अगर कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिलती है तो राहुल 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
– राहुल गांधी को सजा खिलाफ अपील करने के लिए सूरत कोर्ट ने 30 दिन की मोहलत दी है। राहुल सजा के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। कोर्ट अगर सूरत की अदालत के फैसले पर रोक लगाती है तो उन्हें राहत मिल सकती है।
– वहीं, राहुल लक्ष्यद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल के मामले की तरह राहत की भी उम्मीद कर सकते हैं। फैजल को एक मामले में 10 साल की सजा हुई थी। उनकी सीट पर उपचुनाव का भी एलान हो गया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी थी।
– राहुल गांधी उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के लोकसभा महासचिवालय के फैसले को भी अदालत में चुनौती दे सकते हैं।