मुजफ्फरनगर: अभी तक आपने भगवान शिव के न जाने कितने किस्से सुने होंगे और कितने ही मंदिर भी देखे होंगे. लेकिन जनपद मुजफ्फरनगर के गांव शेरनगर में एक शिवलिंग ऐसा है जिसको लेकर मान्यता है कि ये स्वयं ही धरती से प्रकट हुआ था.
इस शिवलिंग से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि इस शिवलिंग की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं. जो भी भक्त अपनी मनोकामना मांगते हैं, उनकी मनोकामना भी इस मंदिर में आकर शिवलिंग पर दूध या गंगा जल चढ़ाने से पूरी हो जाती है. इस शिव मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु आकर शिवलिंग पर दूध व गंगा जल चढ़ाते हैं.
इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां मंदिर में पूजा करने के लिए जनपद मुजफ्फरनगर ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और अपने मन की मुरादें भगवान भोलेनाथ से मांगते हैं.
मंदिर के पुजारी चतुरा सिंह ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन सिद्ध पीठ मंदिर है, जो करीब 500 साल पुराना है. यह मंदिर 52 बीघा जमीन में फैला हुआ है जिसमें 20 बीघे का तालाब है.
पुजारी जी का कहना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पर सोलह सोमवार आकर पूजा अर्चना कर भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाता है तो उस भक्त की मनोकामना भगवान भोलेनाथ जरूर पूर्ण करते हैं.
मंदिर में आए श्रद्धालु शुभम ने जानकारी देते हुए बताया कि यह सिद्ध पीठ शिव मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि इस मंदिर में मांगी हुई मनाते हमेशा पूरी होती है.
शुभम ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि करीब 500 वर्ष पहले एक किसान अपनी पत्नी के साथ अपने खेतों में यहां पर हल चलाकर खेती कर रहे थे तभी अचानक हल शिवलिंग को लगता है जिसे देखकर वे पति व पत्नी खुशी से झूम उठते हैं और यह बात सभी गांव वालों को बताते हैं तभी गांव वाले एकत्रित होकर इस शिवलिंग पर दूध व गंगा जल चढ़ाते हैं. उसके बाद इस शिवलिंग की पूजा होने लगी और फिर शिव जी का मंदिर स्थापित किया गया.
कहा जाता है कि ग्रामीणों के द्वारा करीब 8 दिन बाद ही शिवलिंग के पास ही एक नंदी जी की मूर्ति भी स्थापित कर दी गई थी और नंदी जी को दूध पिलाया गया था. नंदी जी की मूर्ति ने भी दूध पिया था. इस मंदिर को प्राचीन सिद्ध पीठ शिव मंदिर कहा जाने लगा, आज यहां पर बहुत दूर-दूर से शिवभक्त आते हैं और अपनी मन्नते मानते हैं.