हरदोई. यूपी अपने खूबसूरत प्राचीन मंदिरों के लिए देशभर में मशहूर है. हरदोई में एक ऐसा शिवालय मौजूद है जहां पर देवराज इंद्र के द्वारा शिवलिंग की स्थापना की गई थी. इस मंदिर का इतिहास कई हज़ार वर्षों पुराना माना जाता है. वहीं इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को खंडित करने के लिए मंदिर पर मुगल शासक औरंगजेब ने आक्रमण भी किया था और शिवलिंग पर आरा चलवाया था. जिसके निशान आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद हैं.
हरदोई में प्रसिद्ध सुनासीर नाथ मंदिर स्थापित है. जहां पर स्वयं देवराज इंद्र के द्वारा शिवलिंग की स्थापना की गई थी. यहां के पुजारी आचार्य मंगल प्रसाद मिश्र के अनुसार जब देवराज इंद्र को ब्रह्म हत्या लगी और वह भगवान ब्रह्मा जी के पास इस पाप से प्रायश्चित के लिए गए तो ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि गंगा तट के किनारे शिव जी की पूजा करने से पापमुक्त हो जाओगे तब इंद्र ने इसी स्थान पर आकर शिवलिंग की स्थापना की थी और यहीं पूजा करने लगे थे.
मुगल काल के समय हिंदुओं के आस्था के केंद्र मंदिरों को तोड़ने का काम जोरों से चला था इसी दौरान हरदोई के प्रसिद्ध सुनसीर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर मुगल आक्रांता औरंगजेब के द्वारा शिवलिंग को खंडित करने के लिए खुदाई करवाई गई मगर शिवलिंग का छोर ना मिला उसके बाद शिवलिंग पर आरा चलवाया था. मगर ईश्वर की शक्ति के चलते इस शिवलिंग से दूध और दही की धारा निकली फिर भी वह नहीं माना आरा चलवाना जारी रखा. लेकिन शिव की सेना के रूप में शिवलिंग से सांप बिच्छू ततैय्या आदि कीट निकल कर मुगल सेना पर टूट पड़े जिससे परेशान होकर इस मंदिर से मुगलों को भागना पड़ा. आज भी इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर मुगल की बर्बरता के निशान मौजूद हैं.
इस प्राचीन सुनासीर नाथ मंदिर मे पूरे वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मगर जब सावन माह आता है तो यहां पर मेला लगता है और लाखों श्रद्धालु और कांवड़ियों के द्वारा यहां दर्शन किये जाते हैं. दूर-दूर से कांवरिये गंगा जी से जल भरकर इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
हरदोई के मल्लावां क्षेत्र में स्थित प्राचीन सुनासीर नाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और भगवान भोले नाथ से मनोकामना मांगते हैं और उनकी वह मनोकामना पूरी भी होती है, अगर आप भी इस प्राचीन मंदिर में शिव जी के दर्शन के लिए आते हैं और अगर ट्रेन से आते हैं तो आप हरदोई से रोडवेज बस जो कानपुर के लिए जाती है उससे मल्लावां तक आ सकते हैं फिर वहां से ऑटो या फिर ई रिक्शा से राघौपुर रोड स्थित इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं वहीं अगर आप अपने निजी वाहन से आते हैं तो भी इसी रुट का इस्तेमाल कर सकते हैं.