नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव को बडा झटका देने के बाद अब कांग्रेस ने यही कहानी राजस्थान में जयंत चौधरी के साथ दोहराई हैं। गठबंधन में चार से पांच सीटें मिलने की उम्मीद जताते हुए कांग्रेस ने रालोद के लिए सिर्फ एक सीट छोडी है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में रालोद गठबंधन में दो सीटों पर चुनाव लडा था।
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने 3 अक्टूबर को भरतपुर दौरे के दौरान इच्छा जताई थी की, रालोद और कांग्रेस का गठबंधन हो, और वह सीकर, झुंझुनूं, नागौर बेल्ट पर अपना प्रत्याशी खड़ा कर सकें। मगर ऐसा नहीं हो सका। कांग्रेस और रालोद का सिर्फ एक ही सीट पर गठबंधन हो सका। जबकि साल 2018 के चुनावों में रालोद ने कांग्रेस से गठबंधन कर 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
3 अक्टूबर को रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था की, हमें सीकर, झुंझुनू, नागौर बेल्ट की तरफ मौका दिया जाए। वह कांग्रेस के साथ सीकर, झुंझुनू, नागौर बेल्ट पर गठबंधन से अपना प्रत्याशी उतारने चाहते थे। इसके अलावा जयंत चौधरी ने कहा था की, जिन सीटों को कांग्रेस नहीं जीत पा रही वह उन्हें जीत कर दिखाएंगे, लेकिन रालोद और कांग्रेस की बात नहीं बनी।
रविवार को जब कांग्रेस ने अपनी 6वीं लिस्ट जारी की तो, लिस्ट में कांग्रेस ने सिर्फ द्य सीट रालोद के लिए छोड़ी। साल 2048 में रालोद ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन साल 2023 के चुनावों में कांग्रेस रालोद पर पहले जैसा भरोसा भी नहीं दिखा पाई।
इस बारे में भतरपुर से रालोद प्रत्याशी सुभाष गर्ग ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। एक सर्वे होता है और गठबंधन का शीर्ष नेतृत्व यह तय करता है। इसका जवाब राष्ट्रीय नेतृत्व दे सकता है।