मुजफ्फरनगर। प्रयागराज किसान कुंभ में जाने के लिए भारतीय किसान यूनियन के सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत सोमवार को नौचंदी एक्सप्रेस से सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कूच करेंगे। चौधरी नरेश टिकैत वहां पर 3 दिन तक चलने वाले किसान कुंभ में किसानों की समस्याओं को लेकर रणनीति बनाएंगे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में होने वाले फैसलों के मद्देनजर राष्ट्रपति को किसानों की मांगों को लेकर एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित करेंगे।
कोरोना काल के बाद प्रयागराज में किसान कुंभ को लेकर देशभर के किसानों में जबरदस्त उत्साह है। इस किसान कुंभ में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में किसान प्रयागराज पहुंचने शुरू हो गए हैं। इस किसान कुंभ में चौधरी नरेश टिकैत मुजफ्फरनगर से अपने सैकड़ों भाकियू कार्यकर्ताओं के साथ कल सोमवार शाम को नौचंदी एक्सप्रेस से सवार होंगे और मंगलवार सुबह किसान कुंभ की राष्ट्रीय पंचायत को संबोधित करेंगे।
इस किसान कुंभ के मद्देनजर चौधरी नरेश टिकैत ने बताया कि वर्तमान दौर में किसान मजदूर आदिवासी अपनी समस्याओं को लेकर देशभर में आंदोलित है। उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार संवेदनशील दिखाई नहीं दे रही हैं। चाहे वह एमएसपी पर फसलों की खरीद का मामला हो या गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर समस्या हो या बिजली बिलों को का मामला हो या छुट्टा जानवरों से किसानों को निजात दिलाने का मामला। इन सब समस्याओं पर सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। देशभर का किसान फसलों के उचित मूल्य को लेकर भी दुखी है। उसको एमएसपी का एमएसपी पर उसकी फसल की खरीदारी एमएसपी पर ना होकर बिचौलियों के द्वारा होने से वह घाटे में जा रहा है। पिछले 4 साल में गन्ना मूल्य मात्र ₹25 बढ़ाकर यूपी सरकार ने किसानों को छलने का काम किया है। इस बार के सीजन में भी उनको भुगतान की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बेरोजगार युवाओं के लिए कोई योजना सरकारों के पास नहीं है। वह चिंता में है और भविष्य को लेकर चिंतित है। उसका घाटे की खेती से मोह भंग हो रहा है।
उन्होने कहा कि यही समस्याएं हैं जिनको लेकर प्रयागराज में राष्ट्रीय कार्यकारिणी किसी नतीजे पर पहुंचेगी। उस के माध्यम से किसानों की तरफ से हर समस्या का समाधान कराने की कोशिश के लिए मंथन किया जाएगा और साथ ही साथ समस्याओं का हल न होने तक सरकारों को चेताने का काम भी किसान पंचायत के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्षधर हैं लेकिन सरकार अगर नहीं सुनेगी तो निश्चित तौर पर किसानों को सड़क पर उतरना ही एकमात्र विकल्प बचेगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इन मुद्दों के साथ-साथ कार्यकारिणी के नए स्वरूप का गठन और बाकी प्रदेशों में भी संगठन में आमूलचूल परिवर्तन करने के लिए विचार किया जाएगा।