मुजफ्फरनगर. आयकर विभाग के एक निरीक्षक व दो लिपिकों की मिलीभगत से हुए टीडीएस रिफंड घोटाले की जांच की कड़ी में मंगलवार को सीबीआई टीम आयकर कार्यालय में पहुंची टीम ने करीब दो घंटे तक विभागीय अफसरों से पूछताछ की। विभागीय अफसरों से आरोपित कर्मचारियों सहित कुछ नए व्यापारियों का डाटा मांगा गया है। तीनों कर्मचारियों से संबंधित जानकारी सीबीआई अफसरों को दी गई, लेकिन व्यापारियों का डाटा देने के लिए विभागीय अधिकारियों ने एक सप्ताह का समय मांगा है। सीबीआई की टीम पहुंचने से विभाग में सन्नाटा पसरा रहा।
मुजफ्फरनगर के आयकर कार्यालय में तैनात रहे निरीक्षक रोहित कुमार, लिपिक सौरभ सिंह और अभयकांत पर आरोप है कि उन्होंने शाहपुर व अन्य क्षेत्र के कुछ व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से उनके खातों में टीडीएस रिफंड के 1.39 करोड रुपये डाल दिए थे। यह घोटाला कोरोना काल के समय अगस्त 2020 से लेकर 2021 के बीच किया गया। करीब एक वर्ष के अंदर चहेते व्यापारियों को तीनों कर्मचारियों ने मिलकर मोटा लाभ कमाया। इसमें उन्होंने अपना कमीशन भी व्यापारियों से अग्रिम ले लिया था। तत्कालीन संयुक्त आयकर आयुक्त मयंक कुमार ने कागजों की पड़ताल की तो यह पूरा मामला पकड़ में आया था, जिसके बाद कानपुर मुख्यालय में अधिकारियों को घोटाले से अवगत कराया। विभागीय जांच शुरू होने के बाद तीनों को निलंबित कर दिया और सीबीआई जांच के लिए संस्तुति कर दी, जिसके बाद अब सीबीआई गाजियाबाद शाखा के अधिकारियों के निर्देश में जांच शुरू हो गई है।
शाहपुर में 11 व्यापारियों से पूछताछ के लिए सीबीआई ने जनपद में डेरा डाल लिया है। इन व्यापारियों से पूछताछ शुरू हो चुकी है। एक ठेकेदार से सीबीआई ने पूछताछ की है। इसके अलावा अन्य व्यापारी भी रडार पर है, जिसके लिए आयकर कार्यालय से कुछ अन्य व्यापारियों की सूची भी सीबीआई ने मांगी है। मंगलवार दोपहर सीबीआई की तीन सदस्य टीम इसके लिए आयकर भवन में भी पहुंची, जिन्होंने संयुक्त आयकर आयुक्त आरके सिंह से पूछताछ करते हुए डाटा मांगा है, लेकिन उन्होंने नई तैनाती होने के कारण मामले को समझकर डाटा देने में एक सप्ताह का समय मांगा है।
आयकर भवन में तैनात रहकर घोटाला करने वाले आयकर निरीक्षक रोहित कुमार का फरवरी में स्थानांतरण देहरादून हुआ था। इनसे पहले 12 जनवरी को लिपिक सौरभ सिंह का सहारनपुर व अभयकांत का स्थानांतरण रुड़की में हुआ था, जिसके बाद फरवरी में घोटाला खुलने पर उन्हें निलंबित किया गया था। हालाकि विभाग ने 35 लाख रुपये की रिकवरी भी आरोपितों से की है। अब सीबीआई आगे की कार्रवाई करेगी।