भाकियू नेताओं ने पंचायत कर आरोप लगाया कि उन्हें बदनाम करने के लिए थाना सिविल लाइन में रंगदारी का झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया। कहा कि सदर बाजार में चल रहे धरने के दौरान जिला प्रशासन तथा पुलिस की मौजूदगी में समझौता हुआ था। जिसके बाद धरना समाप्ता किया गया था। इसके बाद धरना समाप्त कराए जाने के नाम पर ढाई लाख की रंगदारी मांगने की बात अब कहां से आ गई। भाकियू नेताओं ने कहा कि यदि दो दिन के भीतर झूठा मुकदमा समाप्त नहीं कराया गया तो आंदोलन होगा।
बाल रोग विशेषज्ञ डा. अजय पंवार ने थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि 18 फरवरी को उनके क्लिनिक में एक नवजात को भर्ती कराया गया था। बीमारी के चलते नवजात को आइसीयू में रखा गया था। 14 मार्च को नवजात शिशु को उसके पिता रोनी हरजीपुर निवासी एवं भाकियू नेता विकास शर्मा ने क्लिनिक पर हमला कर स्टाफ के साथ गाली गलौज व मारपीट तथा अभद्रता की थी। भाकियू नेताओं ने क्लिनिक के बाहर ही धरना प्रारंभ कर दिया था। आरोप था कि धरना हटवाने के लिए ढाई लाख रुपये की मांग की गई थी। इस मामले में थाना सिविल लाइन पुलिस ने रोनी हरजीपुर निवासी राज सिंह तथा भाकियू जिला उपाध्यक्ष विकास शर्मा के विरुद्ध 11 संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी।
रोनी हरजीपुर निवासी राजसिंह अपने बच्चे को डा. अजय पंवार के क्लिनिक से डिस्चार्ज कराकर ले गए थे। आरोप लगाया था कि उनका बच्चा बदल दिया गया। कहा था कि क्लिनिक पर बेटा भर्ती कराय था, लेकिन उसे बदलकर लड़की थमा दी गई। जिसके विरोध में क्लिनिक पर भाकियू ने हंगामा तथा प्रदर्शन करते हुए धरना दिया था। बाद में बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने पर सहमती बनी थी। डा. अजय पंवार ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि डीएनए टेस्ट रिपोर्ट आ गई है, तथा उससे साबित हो गया कि उनके क्लिनिक में भर्ती कराई गई बालिका रोनी हरजीपुर निवासी राजसिंह बेटी है।
जिला उपाध्यक्ष विकास शर्मा के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के बाद भाकियू भी फार्म में आ गई है। जिला उपाध्यक्ष पर दर्ज मुकदमे पर विचार करने के लिए भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने सोमवार जिला कार्यालय महावीर चौक पर पंचायत की। पंचायत के दोरान उन्होंने कहा कि भाकियू पर दबाव बनाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज कराने की चाल चली जा रही है। कहा कि बच्चा बदलने के प्रकरण में जिला पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों एवं चिकित्सकों से वार्ता उपरांत हुए समझौते के तहत धरना समाप्त हुआ था। जिसके उपरांत चिकित्सक ने अपने स्तर से कराए डीएनए जांच का हवाला देते हुए कहा कि बच्चा नहीं बदला गया। बल्कि भर्ती कराया गया नवजात एक बालिका थी, जिसे उपचार के बाद स्वजन के हवाले कर दिया गया। भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने कहा कि धरना आपसी सहमती से समाप्त किया गया था, लेकिन दबाव बनाने के लिए उनके पदाधिकारियों पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए मुकदमा कराया गया। जोकि सरासर गलत है। चेतावनी दी कि यदि मुकदमा वापस नहीं हुआ तो दो दिन के बाद आंदोलन होगा।
भाकियू नेता मांगेराम त्यागी ने एक राज्यमंत्री पर बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए साफ कहा कि जिला प्रशासन की इतनी हिम्मत नहीं कि उन पर कार्रवाई कर सके। उन्होंने कहा कि एक भाजपा के उच्च नेता व राज्यमंत्री ने करोड़ो का गबन कर रखा है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका का ही राज्यमंत्री पर 5.5 करोड़ बकाया है। उन्होंने सीधे तौर से जिला प्रशासन को चेलेंज किया। कहा कि यदि हिम्मत है तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई करें।