नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा की सवाल पूछने के बदले कैश लेने के मामले में संसद की सदस्यता चली गई है। सांसदी गंवाने के बाद महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने दावा किया कि यह बीजेपी के अंत की शुरुआत है। साथ हीए उन्होंने तीखे तेवरों के साथ संसद को कंगारू कोर्ट बताया। लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन पर महुआ मोइत्रा ने कहा ण्ण्ण् अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। ण्ण्ण्यह आपके ;बीजेपी अंत की शुरुआत है। लोकसभा में शुक्रवार को महुआ के खिलाफ वाली एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को पेश किया गया, जिसमें उन्हें सदन से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा गया। यह प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। इस दौरान महुआ को कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष का भी साथ मिला और विपक्षी सांसदों ने गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।
बता दें कि 49 वर्षीय महुआ मोइत्रा पर संसद में नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सवाल पूछने के बदले में बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से 2 करोड़ रुपये नकद और लक्जरी गिफ्ट सहित रिश्वत लेने का आरोप है।
मोइत्रा पर संसदीय वेबसाइट पर एक गोपनीय खाते में लॉग.इन क्रेडेंशियल सरेंडर करने का भी आरोप है ताकि हीरानंदानी सीधे सवाल पोस्ट कर सकें। हालांकि, महुआ ने रिश्वत लेने के आरोपों से इनकार किया है, लेकिन लॉग.इन जानकारी शेयर करने की बात को स्वीकार किया है।
लोकसभा में आज एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा और मोइत्रा की पार्टी सहित विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। रिपोर्ट पेश करने के बाद हुए हंगामे के कारण कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को श्पैसे लेकर सदन में सवाल पूछनेश् के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था।