कानपुर| कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र में अपनी बेशकीमती जमीन हथियाए जाने से आहत किसान बाबू सिंह यादव ने खुदकुशी करने से पहले सीएम को एक सुसाइड नोट लिखा। इसमें उन्होंने योगी जी से अपनी शिकायत की है। केंद्र सरकार के जमीन की खरीद फरोख्त में 20 हजार से ऊपर की रकम का लेनदेन रजिस्टर्ड होने के कानून का फायदा उठाकर पार्टी के नेता पर उनकी जमीन हड़पने का आरोप लगाया।
बाबू सिंह के भतीजे धर्मेंद्र ने बताया कि चाचा की सिर्फ दो बेटियां ही हैं। उन्होंने सोचा था कि अहिरवां की छह बीघे जमीन को बेचकर उससे मिलने वाली रकम से बेटियों को पढ़ाकर लिखाकर उनकी शादी कर देंगे। शेष रुपये से कहीं बाहर ग्रामीण इलाके में जाकर खेत खरीदेंगे और उसमें ही खेती, किसानी करके अपनी पत्नी के साथ जीवन काट लेंगे, लेकिन लोभियों की नजर उनकी कीमती जमीन पर पढ़ने के कारण उनके सारे सपने अधूरे रह गए।
बाबू सिंह ने खुदकुशी करने से पहले लिखे हुए सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां किया। उन्होंने लिखा कि भाजपा पार्टी के सदस्य ने अपनी ही सरकार के कानून का फायदा उठाते हुए उन्हें 6.29 करोड़ का चेक देकर जमीन की रजिस्ट्री करा ली। ..और क्या लिखूं। साक्ष्य के रूप में सारी फोटो मेरे मोबाइल फोन में हैं। पुलिस ने किसान का मोबाइल फोन जांच के लिए जब्त किया है।
सुसाइड नोट में किसान बाबू सिंह ने लिखा है कि हो सके तो बच्चों को न्याय मिले। बाबू सिंह की पत्नी बिटान ने बताया कि भगवान ने उन्हें कोई बेटा नहीं दिया। सिर्फ दो बेटियां दीं। वह फफकते हुए बोलीं कि उनके पति ने कभी बेटियों में किसी तरह का फर्क नहीं किया। उनकी पढ़ाई लिखाई से लेकर रहन सहन तब सबकुछ बेहतर करने का प्रयास किया।
पति बाबू सिंह के ननिहाल पक्ष से उन्हें 10 बीघे यह बेशकीमती जमीन उनकी नानी ऊषा देवी के गोदनामे में मिली थी। इस जमीन को बेचकर वह बच्चों को सुनहरा भविष्य बनाना चाहते थे, लेकिन लोभियों ने उनका हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर दिया। बताया बड़ी बेटी रूबी की नवंबर तक शादी करने की सोच रहे थे। यह कहते हुए उनकी आंखों से आंसू बह निकले।
पिता का शव देखकर फफक रही मृतक की छोटी बेटी काजल यादव उर्फ छोटू ने बताया कि मेरे पापा की आत्महत्या की वजह सिर्फ वही दो लोग हैं, जिनके नाम पापा ने सुसाइड नोट में लिखे हैं। दोनों ने पापा के साथ गलत किया। उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए। मेरे पापा की सारी खेती हड़प ली और रुपये भी नहीं दिए।
पापा इधर उधर भटकते रहे, लेकिन सबने मिलकर उनकी जमीन हड़प ली। जमीन की दाखिल खारिज भी करा ली गई। यह बात पापा को पता चली, तो वह शाम को घर लौटे और मुझसे बोले छोटू हम हार गए। मैंने उनसे कहा अभी आप हारे नहीं हो, लेकिन उन्हें गहरा सदमा लगा था।
मैनपुरी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. प्रिय रंजन आशु दिवाकर ने बताया कि उनका ड्राइवर बबलू यादव किसान का रिश्तेदार था। वह उनके माध्यम से ही किसान की मदद कर रहे थे। करोड़ों की संपत्ति के लालच में किसान के परिवारीजन ही बबलू से जलते थे। उन्होंने अरोप लगाया कि किसान ने खुदकुशी नहीं की उसके दुश्मनों ने उसकी हत्या की है।