प्रयागराज. उस रात जब खबर आई कि उत्तर प्रदेश के डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोलीमारकर हत्या कर दी गई है तो हर कोई सन्न रह गया। इस खबर ने लोगों के दिलों में दहशत भर दी, लेकिन इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन बिल्कुल भी नहीं घबराई। एक महिला जिसका बेटा 3 दिन पहले ही एनकाउंटर में मारा गया था, जिसके पति और देवर के मौत की खबर आई थी, उस महिला ने उसी रात अपने खतनाक दिमाग से रची एक साजिश। अब 23 दिन बाद इस बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है।
जब असद का एनकाउंटर हुआ तो हर कोई ये सोच रहा था कि अब शाइस्ता सबके सामने आ जाएगी। एक मां अपने बेटे को आखिरी बार जरूर देखना चाहेगी, लेकिन शाइस्ता ने सरेंडर नहीं किया। सबको यही लगा कि कितनी पत्थर दिल मां है जो बेटे के जनाजे में भी नहीं आई। 3 दिन बाद अतीक और अशरफ की हत्या के बाद तो ऐसी खबरें भी आईं कि शाइस्ता सरेंडर कर सकती है, लेकिन तब भी शाइस्ता ने सरेंडर नहीं किया। हां,अब एक चौकाने वाला खुलासा जरूर हुआ है। उस रात शाइस्ता अपने बेटे असद के दोस्त आतिन जफर के घर जरूर आई।
15 अप्रैल की रात अतीक अहमद की ये बेगम असद के दोस्त के घर प्रयागराज के खुल्दाबाद में आई। ये आतिन के पिता जफरुल्लाह का घर था। शाइस्ता के साथ अतीक का शूटर साबिर भी था। उस रात ये दोनों अतीन जाफर के घर ही रुके। आतिन जफर अतीक के बेटे असद का काफी करीबी दोस्त था। यहां तक की उमेश पाल हत्याकांड में उसने असद की मदद भी की थी। उस रात शाइस्ता अपने बेटे के दोस्त के कंधे पर सिर रखकर खूब रोई। उसके बाद वहीं साबिर और शाइस्ता ने एक प्लानिंग की।
ये प्लानिंग थी अतीक के जनाजे में छुपकर जाने की। शाइस्ता ने साबिर को कहा कि वो सरेंडर नहीं करना चाहती, वो चाहती है छुपकर अतीक का आखिरी दीदार करे। वो चाहती थी बेटे असद की कब्र पर भी वो एक फूल चढ़ाए, लेकिन अपनी आजादी की कीमत पर नहीं। साबिर और आतिन जाफर शाइस्ता के इस प्लानिंग को आखिरी अंजाम देने के लिए भी तैयार थे। शाइस्ता भेष बदलकर, छुपछुपाकर कसारी-मसादी जाना चाहती थी। सबकुछ तैयारी हो चुकी थी, लेकिन टीवी पर आ रही खबरों को देखने के बाद शाइस्ता ने अपना प्लान बदल दिया।
अतीक और अशरफ की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस काफी ज्यादा चौकन्नी हो गई थी। कसारी-मसारी क्रबिस्तान के चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल तैनात कर दिया गया था। बड़े पुलिस अधिकारी खुद सुरक्षा का जायजा ले रहे थे। एक तरफ हिंसा फैलने का डर था तो वही दूसरी तरफ पुलिस को भी शक था कि शाइस्ता छुपकर यहां आ सकती है। ये सारी खबरें न्यूज चैनल्स पर दिखाई जा रही थी। ये शातिर बेगम न्यूज देखने के बाद चंद घंटों में ही समझ चुकी थी कि अगर ये वहां गई तो इसे सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा। बस फिर क्या था शाइस्ता ने अतीक अहमद के जनाजे में जाने के बजाए अपनी आजादी को चुना।
अब असद के दोस्त ने खुद उत्तर प्रदेश पुलिस को ये सारी जानकारी दी है। आतिन ने खुद बताया कि शाइस्ता पुलिस को कसारी-मसारी में चकमा देने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। शाइस्ता और साबिर उस रात वहीं रुके और फिर अगले दिन वहां से चले गए। इसके बाद आतिन को नहीं पता कि अतीक की बेगम कहां गई।