अयोध्या. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का व्रत रखा जाता है. भाद्रपद माह में आने वाली इस संतान सप्तमी का बड़ा अधिक महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्य, माता पार्वती और भोले शंकर की विधि-विधान पूर्वक पूजा-आराधना की जाती है. इस साल यह व्रत 22 सितंबर को रखा जाएगा. कई जगहों पर इस पर्व को ललित सप्तमी अथवा मुक्ता भरण सप्तमी के नाम से भी जानते हैं.
मान्यता के अनुसार जो भी स्त्री संतान सुख से वंचित रहती है उन्हें यह व्रत करना चाहिए. इसके प्रभाव से जल्द ही सुनी गोद भर जाती है. खास करके संतान सप्तमी का व्रत संतान की प्राप्ति ,संतान की रक्षा और संतान की उन्नति के लिए किया जाता है. अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हर वर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 22 सितंबर को मनाया जाएगा. इसके अलावा संतान सप्तमी के दिन संतान सुख की प्राप्ति के लिए कुछ उपाय करने से जल्द ही सुनी गोद भर जाती है.
अगर आप शादीशुदा और आप भी संतान सुख की प्राप्ति करना चाहती हैं तो फिर आपको संतान सप्तमी के दिन विधि-विधान पूर्वक व्रत रहना चाहिए. इस दिन भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान सूर्य की विधि-विधान पूर्वक पूजा-आराधना करनी चाहिए. भोलेनाथ को सूती का डोरा अर्पित करना चाहिए. संतान सप्तमी की कथा का श्रवण करना चाहिए. पूजा के बाद इस दौरे को अपने गले पर धारण करना चाहिए. मान्यता के अनुसार अगर ऐसा संतान सप्तमी के दिन किया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है.
संतान की सुख समृद्धि के लिए संतान सप्तमी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर शाम के समय माता पार्वती को गुड का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से संतान की तरक्की में आ रही तमाम प्रकार की बाधाएं समाप्त होती है. उसे अच्छी शिक्षा बेहतर कैरियर प्राप्त होता है.
संतान सप्तमी के दिन व्रत रहने वाली महिलाओं को भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इसके अलावा भगवान शंकर को 21 बेलपत्र तथा माता पार्वती को नारियल अर्पित करना चाहिए. इस दिन ऐसा करने से संतान दीर्घायु होता है और उसके सभी दुखों का नाश होता है.