आगरा. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि यूपी के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म आगरा में हुआ था। ये बेबी से अब पूर्ण युवा बन चुका है। ताजनगरी में जन्मे पहले आइवीएफ बेबी की उम्र 24 साल हो चुकी है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ व आत्मनिर्भर है। निसंतान दंपती के घर आंगन में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन आइवीएफ, खुशियों की किलकारी गूंज रही है। सोमवार को आइवीएफ डे है। चिकित्सक आइवीएफ को लेकर भ्रम और अत्याधुनिक तकनीकी से आइवीएफ की बढ़ती सफलता के लिए जागरूक करेंगे।
दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म 1978 में 25 जुलाई को हुआ था। ताजनगरी में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म 01 अगस्त 1998 को मल्होत्रा नर्सिंग होम, नाई की मंडी में हुआ। उसका नाम उत्सव रखा गया। उत्सव अब 24 साल का है। आइवीएफ में प्राकृतिक की जगह कृत्रिम तरीके से इम्ब्रो तैयार किया जाता है। इसे तीन से पांच दिन बाद गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है, इसके बाद की सभी प्रक्रिया सामान्य गर्भवती महिला की तरह से ही होती हैं।
25 जनवरी 2022 को सरोगेसी विनियमन अधिनियम 2021 लागू कर दिया गया है। किराए की कोख का व्यवसायीकरण बंद कर दिया गया है। अब रिश्तेदार ही सरोगेट मदर बन सकती हैं। यह किस तरह होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं किया गया है। इससे सरोगेसी बंद है। इसी तरह से आइवीएफ सेंटर के सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक एआरटी में पंजीकरण की अनिवार्यता कर दी गई है। इसमें मानक परखे जाएंगे, इसके बाद आइवीएफ सेंटरों को अनुमति दी जाएगी। जटिल प्रक्रिया होने के चलते छोटे शहरों में खुल गए आइवीएफ सेंटर बंद हो जाएंगे। बड़े सेंटरों में कृत्रिम गर्भाधान का खर्चा बढ़ जाएगा।
दयालबाग निवासी पहले टेस्ट ट्यूब बेबी उत्सव ने बताया कि उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक किया है। अब दुबई में नौकरी कर रहे हैं।
उत्सव आगरा का ही नहीं बल्कि यूपी का भी पहला टेस्ट ट्यूब बेबी है। अब वह 24 साल का हो गया है और सामान्य बच्चाें की तरह की जीवन जी रहा है। ये हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि और गौरव की बात है।