नई दिल्ली. हिंदू धर्म में पूजा पाठ करते समय सिर ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महिलाएं ही नहीं पुरुष भी पूजा के समय रुमाल से अपने सिर को ढकते हैं। इतना ही नहीं महिलाएं किसी के पैर छूती हैं, तो वह भी सिर को साड़ी या दुपट्टा से ढकती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सिर ढकने के पीछे क्या है कहानी। आइए जानते हैं कि पूजा के दौरान सिर ढकने के पीछे की धार्मिक मान्यता।
पूजा के समय सिर ढकने का कारण
पूजा के समय सिर ढकने के कई कारण बताए हैं। इनमें से कुछ कारणों को बता रहे हैं।
शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य़ का मन चंचल होता है। ऐसे में सिर ढकने से उसका पूरा फोकस पूजा में हो जाता है और ध्यान नहीं भटकता है।
शास्त्रों के अनुसार, हर किसी के आसपास नकारात्मक ऊर्जा सबसे अधिक होती है। जो व्यक्ति के शरीर में बालों के द्वारा प्रवेश कर जाती है। इसलिए पूजा के समय बालों को ढक लिया जाता है कि व्यक्ति के मन में सिर्फ सकारात्मक विचार आए।
माना जाता है कि आकाश से कई सारी तरंगे निकलती है। ऐसे में अगर पूजा करते समय सिर खुला होगा तो आकाशीय विद्युत तरंगे सीधे व्यक्ति के भीतर प्रवेश कर जाती हैं, जिससे व्यक्ति को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई लोगों को बाल झड़ने या फिर डैंड्रफ की समस्या होती है। ऐसे में सिर ढकना उचित है। नहीं तो पूजा सामग्री में ये गिरकर उन्हें अशुद्ध कर देंगे।