मुजफ्फरनगर। शहर से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण को लेकर प्रक्रिया में अफसरों और ठेकेदारों ने बड़ा खेल कर दिया है। जो कार्य गुरुग्राम की रिकॉट कंपनी फ्री में करने को तैयार थी, उसकी फाइल को नौ माह तक लटकाए रखा गया। उसी कार्य को अब 9,86,24,000 रुपये में दिया गया है। इस प्रक्रिया में बड़ा खेल हो गया है। चेयरपर्सन ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले का खुलासा किया है।
शहर के जिस कूड़े का निस्तारण गुरुग्राम की रिकॉट कंपनी मुफ्त में करने के लिए राजी थी। पालिका में प्रस्ताव के बाद प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी। लेकिन अफसरों ने इस प्रक्रिया को छिपाकर लगभग दस करोड़ का ठेका कूड़ा निस्तारण का दे दिया। चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने अफसरों के इस खेल का खुलासा कर दिया है।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नगर विकास को भेजे पत्र में कहा कि कूड़ा निस्तारण के लिए सबसे पहले गाजियाबाद की कंपनी को 296 रुपये प्रति एमटी में ठेका दिया गया था। कंपनी ने समय से काम नहीं किया, तो गुरुग्राम की रिकॉट कंपनी ने नि:शुल्क कूड़ा निस्तारण का प्रस्ताव दिया। जिसका बोर्ड में प्रस्ताव हो गया।
लेकिन नौ माह तक फाइल को पालिका में दबाए रखा गया और बिना चेयरपर्सन को संज्ञान में लिए आगरा की एक कंपनी को ठेका दे दिया गया। आगरा की फर्म एनवायरमेंट टैक्नो को 439 रुपये प्रति एमटी की दर पर ठेका स्वीकृत कराया गया है। शासन ने इसके लिए 9,86,24,000 रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। पालिका का जो काम मुफ्त में हो सकता था, उस पर अब दस करोड़ खर्च किया जा रहा है।
ईओ हेमराज ने लिगेसी वेस्ट कूड़ा निस्तारण की महत्वपूर्ण नि:शुल्क व्यवस्था को प्रक्रिया प्रारंभ होने से पूर्व नौ माह तक लंबित रखा। शासन को वास्तविक स्थिति के बारे में नहीं बताया गया। इस समय प्लांट बंद है। पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए।-
यदि रिकॉट कंपनी मुफ्त में तैयार है, तो नई कंपनी के प्रस्ताव का निरस्त करा दिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया शासन स्तर से हुई है, इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। फाइल को भी कर्मचारियों ने ही उलझाए रखा। चेयरपर्सन ने अब से पहले संज्ञान क्यों नहीं लिया।