देहरादून. उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए मतदान पूरा होने के बाद अब मतदान प्रतिशत को लेकर एक नई बहस छिड़ी है। सवाल तैर रहे हैं कि आखिर तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में मतदान प्रतिशत क्यों नहीं बढ़ पाया। पहाड़ में मतदान क्यों हांफने लगा?
अमर उजाला ने इन सवालों की पड़ताल की। पड़ताल के दौरान राजनीतिक मामलों के जानकारों और राजनीतिज्ञों ने कहा कि हुक्मरानों और नीति नियंताओं को स्थिर मतदान से सबक लेना चाहिए क्योंकि इसने पहाड़ से हो रहे पलायन की चिंता को एक बार फिर सामने रखा है। उन्हें पलायन की समस्या के समाधान के लिए नये ढंग से सोचना होगा।
कम मतदान के पीछे के तर्क
– कोविड की दुश्वारियों और बंदिशों से हुआ कम मतदान
– मौसम की दुश्वारियों से घरों से बाहर नहीं निकले वोट
– घरों से दूर रह रहे लोग मतदान करने नहीं पहुंच पाए
– काम धंधा, रोजगार के अभाव में बढ़ी पलायन की समस्या
पलायन रुकेगा, मतदान बढ़ेगा
– चुनाव में मतदान बढ़ाने के लिए पलायन रोकने पर जोर देना होगा
– पहाड़ में आजीविका, रोजगार के साधन व सुविधा बढ़ानी होगी
– मतदान बढ़ाने के लिए जागरुकता के कार्यक्रमों को वर्ष भर जारी रखना होगा
– चुनाव के लिए ऐसा समय तय करना होगा ताकि मौसम की दुश्वारियां कम से कम हों
नीति नियामकों को आईना दिखा रहा उत्तरकाशी
पर्वतीय जिलों में पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा मतदान के मामले में सबसे फिसड्डी जिले रहे। उत्तरकाशी पहाड़ का अकेला जिला है, जो नीति नियंताओं का आईना दिखा रहा है। पिछले तीन चुनाव से यह जिला मतदान के मामले में मैदानी जिलों को टक्कर देता रहा है। जाहिर है कि वहां दूसरे जिलों की तुलना में पलायन की दर कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दूसरे जिलों की तुलना में वहां लोगों ने आर्थिक संसाधन ज्यादा जुटाए हैं।
शहर भी बन रहे चौबट्टाखाल
पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पहाड़ में सल्ट, चौबट्टाखाल और लैंसडौन में सबसे कम मतदान हुआ। ये तीनों इलाके पलायन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। चिंता की बात यह है कि राज्य के पॉश और शहरी विधानसभा क्षेत्र भी अब चौबट्टाखाल की राह पर हैं। देहरादून शहर की धर्मपुर, राजपुर रोड, हरिद्वार शहर और रुड़की विधानसभा सीटों पर कम मतदान इसका उदाहरण है।
पिछले तीन चुनाव से हम मतदान प्रतिशत में स्थायित्व देख रहे हैं। यह चिंता का
विषय है। निसंदेह इस बार कोविड की दुश्वारियों के बीच चुनाव कराना ही चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन मत प्रतिशत के आंकड़ों से हम सभी सबक लेना चाहिए। यह समझना होगा कि पलायन की समस्या के समाधान के बहुत कुछ करना जरूरी है। साथ ही शहरी इलाकों में कम मतदान ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि वहां आर्थिक संसाधन और रोजगार, आजीविका जैसे गंभीर प्रश्न भी नहीं हैं।
पलायन ही पहाड़ में कम मतदान प्रमुख कारण है। पुुरुष और नौजवान आजीविका के लिए अपने घरों से बाहर हैं, उनके वोट गांव बने हैं। वे वोटिंग के दिन गांव नहीं लौटे। महिलाएं गांव में ही हैं। यही वजह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मत प्रतिशत नजर आ रहा है। रोजगार और आजीविका के साधन और सुविधाओं को बढ़ाकर पलायन को रोका जाएगा तो मतदान प्रतिशत भी स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा क्योंकि लोगों को काम धंधे की तलाश में घर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
मेरी समझ में केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां मतदाता की उदासीनता की वजह है। हताशा में वह घर से वोट देने नहीं निकला। मौसम की दुश्वारी दूसरी प्रमुख वजह बनीं। यदि आखिरी चरण में चुनाव होता तो मत प्रतिशत बढ़ सकता था। मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा।
मतदान प्रतिशत का कम होने का सबसे बड़ा कारण कोरोना है। लोगों के गांव में वोट हैं, लेकिन वे नौकरियां बाहर कर रहे हैं। कोविड की दुश्वारियों के कारण उनका गांवों में आना कुछ मुश्किल था। अनिल बलूनी जी ने एक मुहिम चलाई है, उसे आगे बढ़ाएंगे। पीएम मोदी ने कहा कि बॉर्डर के गांवों को हम मॉडल विलेज बनाएंगे। ऐसा होने पर लोग गांवों में रहेंगे। इसका असर मतदान प्रतिशत भी पड़ेगा।
पहाड़ से लोग पलायन कर रहे हैं। पलायन महामारी बन गया है। इससे हमारा राज्य बनाने का जो लक्ष्य था वह विफल होता जा रहा है। मैंने अपने गांव से शुरुआत किया है। मेरे गांव में बड़ी संख्या लोग वोट डालने आए। मेरे मन में यह लक्ष्य है कि पूरे पहाड़ में पांच लाख से अधिक वोट बनाने की आवश्यकता है, ताकि पूरे पहाड़ से राजनीतिक प्रतिनिधित्व के पलायन को रोका जा सके।
विस चुनाव वोट प्रतिशत
2002 54.34
2007 59.50
2012 66.85
2017 65.56
2022 65.37
किस जिले में कितना मतदान
पर्वतीय जिले 2017 2022
उत्तरकाशी 69.38 68.48
रुद्रप्रयाग 62.31 63.16
चंपावत 61.43 62.66
बागेश्वर 61.11 63.00
पिथौरागढ़ 60.18 60.88
चमोली 59.12 62.38
टिहरी 55.68 56.34
पौड़ी 54.86 54.87
अल्मोड़ा 53.07 53.71
मैदानी जिले 2017 2022
देहरादून 63.53 63.69
हरिद्वार 75.68 74.77
ऊधमसिंह नगर 76.01 72.27
नैनीताल 66.88 66.35