नई दिल्ली: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन पूजा-पाठ करने से और ज्योतिष से जुड़े कुछ उपाय करने से साधक को बहुत लाभ मिलता है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष होलिका दहन कई हिस्सों में 06 मार्च को किया जाएगा और भारत के पूर्वी हिस्सों में 07 मार्च को पूर्ण किया जाएगा। इस दिन साधकों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि होलिका दहन के दिन की गई गलती से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं-
शास्त्रों में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन इत्यादि को नहीं करना चाहिए। इन पर अशुभ प्रभाव पड़ने का खतरा बढ़ सकता है।
होलिका की अग्नि को चिता के रूप में जलाया जाता है। इसलिए इस दिन नवविवाहित जोड़े होलिका दहन के दर्शन न करें। इससे वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
होलिका दहन की चिता को बनाने में पीपल, बरगद अथवा आम के वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग भूलकर भी ना करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं।
होलिका दहन के दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करें और इस दिन मदिरा व मांस से दूर रहें। इसके साथ ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन सफेद चीज जैसे- खीर, चावल या दूध से बनी किसी चीज को नहीं खाना चाहिए।
सास-बहू और घर के एकलौते बेटे को होलिका में आहुति नहीं डालनी चाहिए। सुझाव यह भी दिया जाता है कि सास और बहू को एक साथ होलिका दहन देखना भी नहीं चाहिए।
आर्थिक समस्याओं को दूर रखने के लिए व्यक्ति को होलिका दहन के दिन न तो किसी से उधार लेना चाहिए और न ही किसी को उधार देना चाहिए। ऐसा करना नुकसानदायक को सकता है और इससे पैसे की तंगी हो सकती है।