चंडीगढ़। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के सम्मान में राजभवन में रखे गए समारोह से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गैर हाजिर रहने से सरकार और राजभवन में राजनीति फिर गरमा गई है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री की गैर हाजिरी का विशेष तौर पर उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री को निमंत्रण भेजा और उनसे फोन पर बात भी की।
राज्यपाल ने कहा कि भगवंत मान ने निमंत्रण स्वीकार भी किया और आने के लिए हामी भरी। राज्यपाल ने अफसोस जताते हुए कहा कि इसके बावजूद वह नहीं आए और अपना प्रतिनिधि भेज दिया। राज्यपाल ने कहा कि उनकी अपनी व्यस्तताएं हो सकती हैं, लेकिन राष्ट्रपति के दौरे के दौरान उनकी कुछ संवैधानिक जिम्मेदारियां भी बनती हैं जो उन्हें निभानी चाहिए थीं।
आज वायु सेना दिवस के मौके पर चंडीगढ़ में एयर शो के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहली बार चंडीगढ़ आई थीं और उनके सम्मान में पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने सम्मान समारोह रखा, जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान नहीं आए। मुख्यमंत्री गुजरात चुनाव में व्यस्त हैं।
उधर, शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी ने भी मुख्यमंत्री की ओर से प्रोटोकाल के उल्लंघन को लेकर उनकी आलोचना की। शिअद के नेता व पूर्व मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से पंजाबियों को देश भर में शर्मसार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भी उनकी गैर हाजिरी को प्वाइंट आउट किया कि देश की राष्ट्रपति यहां आई हुई हैं और मुख्यमंत्री नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को छोड़कर गुजरात के चुनाव में जुटे हुए हैं। डा. चीमा ने कहा कि पद के साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी जुड़ी होती हैं जिनका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
चीमा ने कहा कि भगवंत मान ने आज जो काम किया है उससे पंजाब का सिर शर्म से झुक किया गया है। डा. चीमा ने मुख्यमंत्री से कहा कि आपको अपनी जिम्मेदारियां पहचाननी चाहिए, न कि अपनी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के पीछे लगकर प्रोटोकाल का उल्लंघन करना चाहिए।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के राजभवन में आने का जिस प्रकार से बुरा माना है उससे पंजाब सरकार और राजभवन के बीच पिछले महीने से बनी हुई दूरियां फिर से उभर आई हैं। याद रहे कि कथित आपरेशन लोटस के खिलाफ मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विशेष सत्र बुलाने की घोषणा कर दी थी। राज्यपाल ने पहले इसे मंजूरी दे दी, लेकिन जब विपक्ष ने नियमों का हवाला दिया तो राज्यपाल ने विशेष सत्र को रद कर दिया।
आप सरकार के मंत्रियों ने इसकी तीखी आलोचना की और सरकार ने नियमित सत्र बुलाने की घोषणा कर दी। राज्यपाल ने नियमित सत्र बुलाने संबंधी एजेंडा पूछ लिया जिसको लेकर मंत्रियों ने कहा कि राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं।
राज्यपाल ने संविधान में राज्यपाल की शक्तियों को हवाला दिया और कहा कि राज्यपाल एजेंडे के बारे में पूछ सकते हैं। सरकार उन्हें बताने को बाध्य है। खैर, राज्यपाल ने एजेंडा मिलने पर सत्र को तो मंजूरी दे दी, लेकिन इस सारे घटनाक्रम से सरकार और राजभवन में दूरियां काफी बढ़ गई हैं। यही नहीं, राज्यपाल ने पिछले दिनों ड्रग्स और अवैध खनन को लेकर सार्वजनिक रूप से सरकार के काम की आलोचना की थी।