मैनपुरी. मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला है. चुनाव में दलित वोटर्स अहम भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने इस बार अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. यहीं, वजह है कि सपा और बीजेपी दोनों दलित मतदाताओं को लुभाने में लगी है.
भारतीय जनता पार्टी ने मैनपुरी में दलित वोटर्स तक पहुंचने के लिए 3 दिवसीय अभियान चलाने की योजना बना रही है, जिसकी शुरुआत 24 नवंबर से होगी. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह अभियान पार्टी के ‘बस्ती संपर्क अभियान’ का हिस्सा होगा, जिसमें दलित मतदाताओं से मुलाकात कर उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की जाएगी.
मैनपुरी उपचुनाव में दलित वोटर्स को साधने में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी लगे हैं और उन्होंने करहल विधानसभा क्षेत्र में दलित महिला राजकुमारी रावल के हाथों सपा कार्यलय का उद्घाटन कराया है. बताया जा रहा है कि राजकुमारी अनुसूचित जाति समुदाय से आती हैं और इलाके में काफी एक्टिव हैं. राजकुमारी करहल नगर पंचायत के निकाय चुनाव में चेयरमैन पद के लिए समाजवादी पार्टी के खिलाफ 2 बार चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उन्हें एक बार भी जीत नहीं मिल सकी है.
मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने मैनपुरी से एक बार भी जीत दर्ज नहीं की है, लेकिन उसका औसत वोट प्रतिशत करीब 16 फीसदी रहा है. बसपा की गैरमौजूदगी में ये वोट काफी अहम है, क्योंकि पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव और बीजेपी प्रत्याशी के जीत का अंतर करीब 94 हजार था. बता दें कि मैनपुरी में दलित वोटर्स की संख्या करीब 2 लाख है, जिनमें से जाटव मतदाता 1.2 लाख हैं. इसके अलावा कटरिया समाज के मतदाता 60 हजार हैं और अन्य दलित मतदाताओं की संख्या 20 हजार है.
अखिलेश यादव ने सपा के गढ़ को बचाने के लिए मैनपुरी उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा है. वहीं, बीजेपी ने रघुराज सिंह शाक्य को टिकट दिया है. बता दें कि पिछले महीने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हुई थी और इस पर 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि 8 दिसंबर को मतों की गणना होगी.