नई दिल्ली. भारतीय रेलवे का इतिहास काफी पुराना है। भारत दुनिया के सबसे लंबे रेल नेटवर्क में से एक है। 177 साल पुराना भारतीय रेलवे 68,000 किलोमीटर से अधिक में फैला है। यात्रा करने के लिए ज्यादातर लोगों की पहली पसंद इंडियन रेलवे ही है।
आकड़ो की माने तो प्रतिदिन भारत में लगभग 2 करोड़ 30 लाख यात्री ट्रेन से यात्रा करते हैं, जो रेलवे को आवागमन का एक प्रमुख स्रोत बनाता है। लेकिन इनमें से ज्यादातर यात्रियों को रेलवे के कुछ नियमों को छोड़कर बाकी के नियमों के बारे में नहीं पता होगा। आज हम आपको ऐसे ही आठ नियम के बारें में बताने जा रहे हैं जो आपको जानना चाहिए।
कई बार ऐसा होता है जिस रूट पर हमें टिकट चाहिए होता है उस रूट में हमें अपने गंतव्य स्टेशन तक के लिए टिकट नहीं मिलता बल्कि कुछ स्टेशन पहले तक का ही कन्फर्म टिकट मिलता है। ऐसे में अगर आपको अंतिम गंतव्य के लिए टिकट नहीं मिलता है, तो आप उसी ट्रेन में पहले के गंतव्य के लिए टिकट बुक कर सकते हैं।
इसके बाद ट्रेन में मौजूद टीटीई आपको आगे के स्टेशनों के लिए टिकट जारी कर सकता है। बहुत मुमकिन है कि वो टिकट किसी और कोच या सीट के लिए हो।
काफी बार आपको टिकट बुक करवाते वक्त मिडिल बर्थ सीट मिलती होगी। ऐसे में आप कभी भी जाकर अपने सीट पर नहीं सो सकते या कभी भी सीट को नहीं उठा सकते। रेलवे ने बकायदा मिडिल बर्थ के लिए नियम बनाए हैं।
नियम के मुताबिक यात्री दिन के दौरान बर्थ को फोल्ड नहीं कर सकता। यात्री केवल रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही मिडिल बर्थ पर सो सकते हैं। यदि कोई यात्री समय सीमा से अधिक हो जाता है, तो निचली बर्थ वाले यात्री को यह अधिकार है कि वह उनसे ऐसा न करने के लिए कह सकता है।
कभी-कभी आपको ट्रेन पकड़ने में देरी होती जाती है जिसकी वजह से आपकी ट्रेन छूट जाती है। ऐसे में आप घबराएं नहीं आपकी रिजर्व सीट बेकार नहीं गई है। टीटीई आपकी सीट को अगले दो स्टेशन तक किसी और को नहीं दे सकता।
रेलवे के नियम के मुताबिक अगर कोई यात्री अपने बोर्डिंग स्टेशन पर नहीं चढ़ पाया तो रेलवे उस सीट को उस यात्री के लिए उसके बोर्डिंग स्टेश से अगले दो स्टेशन तक सुरक्षित रखता है।
रेलवे के नियम के मुताबिक रात 10 बजे के बाद यात्रियों को परेशान नहीं किया जा सकता है, यही वजह है कि टीटीई को भी निर्धारित समय से पहले टिकटों की जांच करने की आवश्यकता होती है।
कई लोगों को यही लगता है रेलवे में जितनी मर्जी सामान लेकर चले जाओ कुछ नहीं होगा। हालांकि ऐसा नहीं है फ्लाइट की तरह भारतीय रेलवे में भी लगेज की लिमिट है।
एसी कोच आरक्षण के लिए, आप अधिकतम 70 किग्रा सामान ले जा सकते हैं, स्लीपर क्लास में 40 किग्रा और द्वितीय श्रेणी में 35 किग्रा सामान ले जाने की सीमा है।
एसी क्लास में अतिरिक्त लगेज चार्ज के साथ आप 150 किलो सामान, स्लीपर में 80 किलो और सेकेंड सिटिंग में 70 किलो बैग और सामान ले जा सकते हैं।
अगर आप विंडो काउंटर से टिकट खरीदते हैं तो आप वेटिंग लिस्ट टिकट के साथ यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, ई-टिकट यानी ऑनलाइन माध्यम से बुक हुए टिकट वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने की अनुमति नहीं है।
वटिंग लिस्ट वाले ई-टिकट का रिफंड, चार्ट तैयार होने के बाद किया जाता है। वेटिंग लिस्ट वाले टिकट पर ट्रेन में यात्रा करते पकड़े जाने पर आपको बिना टिकट माना जाएगा।
भारतीय रेलवे के नियम कहते हैं कि अलार्म चेन को केवल आपात स्थिति में खींचने की आवश्यकता होती है, जैसे कि चिकित्सा आपात स्थिति, यात्री सुरक्षा के लिए खतरा, दुर्घटना, या यदि कोई बच्चा, बुजुर्ग या विकलांग व्यक्ति, या साथी छूट गया हो। आपात्काल स्थिति के अलावा जंजीर खींचने पर आपके उपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
रेलवे के शासी निकाय ने ट्रेनों में स्नैक्स, भोजन और पेय पदार्थों जैसे पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के मूल्य निर्धारण के संबंध में नियम तय किए हैं ताकी यात्रियों से अधिक शुल्क न लिया जाए।
यदि कोई वेंडर अनैतिक व्यवहार करता पाया जाता है, तो उसकी रिपोर्ट की जा सकती है, जिसके बाद उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है या उसका लाइसेंस रद्द होते देखा जा सकता है।