यूपी। प्रदेश के 3.29 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। प्रदेश में लगातार चौथे साल भी बिजली दरें नहीं बढ़ेंगी। सभी दरें पहले की तरह ही जारी रहेंगी। इतना जरूर है कि अब ऊर्जा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के यहां भी मीटर लगाया जाएगा। यह फैसला बृहस्पतिवार को नियामक आयोग ने नया टैरिफ जारी करते हुए दिया है। खास बात यह है कि अभी तक बिजली उपभोक्ताओं का निगमों पर 25133 करोड़ सरप्लस था, जिसमें 7988 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। अब उपभोक्ताओं का निगमों पर 33121 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, जिसकी वजह से उपभोक्ता परिषद दर घटाने की मांग पर अड़ा है।
प्रदेश के विद्युत निगमों की ओर से नियामक आयोग में 18 से 23 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था। इस पर मध्यांचल, दक्षिणांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल व केस्को की सार्वजनिक सुनवाई और सलाहकार समिति की बैठक हुई। उपभोक्ता परिषद ने हर स्तर पर बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद बृहस्पतिवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य बीके श्रीवास्तव एवं संजय कुमार सिंह ने नए टैरिफ पर फैसला सुनाया। उन्होंने निगमों के बढ़ोतरी प्रस्ताव को खारिज कर दिया। आयोग ने नया टैरिफ प्लान जारी करते हुए सभी दरें पिछले वर्ष की तरह यथावत रखी हैं। यह चौथा साल है, जब बिजली दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन गया है। इसका सीधा फायदा प्रदेश के करीब 3.29 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा।
प्रति यूनिट बिजली दर
यूनिट घरेलू शहरी घरेलू ग्रामीण
0-100 5.50 रुपया प्रति यूनिट 3.35 रुपया प्रति यूनिट
101-150 5.50 रुपया प्रति यूनिट 3.85 रुपया प्रति यूनिट
151-300 6.00 रुपया प्रति यूनिट 5 रुपया प्रति यूनिट
300 के ऊपर 6.50 रुपया प्रति यूनिट 5.50 रुपया प्रति यूनिट
घरेलू बीपीएल 3.00 रुपया(100 यूनिट तक) 3 रुपया (100 यूनिट तक) एवं
बिना मीटर वाले 500 रुपये प्रति किलोवाटप्रतिमाह
विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2023- 24 के लिए बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 92564.89 करोड़ के वार्षिक राजस्व आवश्यकता को नहीं माना है। आयोग ने केवल 86579.51 करोड़ वार्षिक राजस्व आवश्यकता अनुमोदित किया है। इसी तरह बिजली कंपनियों की ओर से 140.96 बिलियन यूनिट खरीद प्रस्ताव के सापेक्ष 133.45 बिलियन यूनिट खरीद अनुमोदित किया है। बिजली कंपनियों की ओर से वितरण हानियां 14.90 प्रतिशत मांगी गई थी, जिसे सिर्फ 10.30 प्रतिशत माना गया है। यही वजह है कि बिजली दरें नहीं बढ़ीं। आयोग ने 15200 करोड़ सब्सिडी मानते हुए टैरिफ निर्धारण स्लैबवार किया है, जिससे बिजली कंपनियों को लगभग 85105.59 करोड़ राजस्व प्राप्त होगा। इसी तरह ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के मामले में स्लैबवार 2.70 रुपया प्रति यूनिट से लेकर अधिकतम स्लैब पर 3.50 रुपया प्रति यूनिट की सब्सिडी भी घोषित किया है।
नियामक आयोग ने पिछले साल नोएडा पावर कंपनी क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 फीसदी की कमी का आदेश दिया है। यह कमी इस साल भी जारी रहेगी।
आयोग ने ट्रांसमिशन टैरिफ 26 पैसे प्रति यूनिट तय किया है। यह पहले 24 पैसे प्रति यूनिट था। ट्रांसमिशन ने 4594 करोड़ का राजस्व जरूरतें (एआरआर) मांगा था, लेकिन आयोग ने केवल 3606 करोड़ अनुमोदित किया है। इसी तरह घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर ग्रीन एनर्जी टैरिफ 44 पैसे प्रति यूनिट निर्धारित किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग ने परिषद की ज्यादातर मांगें मान ली हैं। जिस तरह से नोएडा पावर कंपनी के क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत कमी जारी रखा गया है उसी तर्ज पर पावर कॉरपोरेशन सभी निगमों के उपभोक्ताओं की दरों में भी कमी करे। इसके लिए उपभोक्ता परिषद माननीय अपीलेट ट्रिब्यूनल में उपभोक्ताओं के पक्ष में अपनी बात रखेगा। जल्द ही याचिका दायर की जाएगी और दरें कम कराई जाएगी। परिषद अध्यक्ष ने उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार नहीं डालने के लिए विद्युत नियामक आयोग और मुख्यमंत्री का आभार जताया। कहा कि अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की अपील की जाएगी और बिजली दरों में कमी का रास्ता भी साफ कराया जाएगा।