मुजफ्फरनगर की अदालत ने पुलिस कस्टडी में गोली मारकर की गई हत्या के मामले में सुनवाई की। जिसमें पिता-पुत्र को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। हत्याकांड 7 वर्ष पूर्व उस समय अंजाम दिया गया था जब अपहरण और हत्या के एक आरोपी को पुलिस कस्टडी में मेडिकल कराकर कोर्ट ले जाया जा रहा था।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता किरण पाल कश्यप ने बताया कि 7 वर्ष पूर्व पुलिस कस्टडी में भोपा थाने के सामने एक बदमाश की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने बताया कि थाना भोपा में तैनात पुलिस कॉन्स्टेबल आदेश कुमार ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि 7 अक्टूबर 2016 को वह अपहरण और हत्या के मामले में आरोपी दामोदर शर्मा निवासी नगला खेपड थाना मीरापुर का भोपा सीएचसी पर मेडिकल कराकर कोर्ट में पेश करने ले जा रहा था। उन्होंने बताया कि पुलिस कस्टडी में दामोदर शर्मा जब थाना भोपा के सामने पहुंचा तो 2 बदमाशों ने तमंचे से फायरिंग कर दामोदर शर्मा की हत्या कर दी थी। पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों को मौके से दबोच कर उनके कब्जे से तमंचा बरामद किया था।
इस मामले में पुलिस ने कुवरपाल पुत्र घसीटा और मोहित पुत्र कुवरपाल निवासी गांव कादीपुर को गिरफ्तार कर उनका चालान कर दिया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता किरण पाल कश्यप ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या 2 के जज अंजनी कुमार ने की। उन्होंने बताया कि कोर्ट में घटना साबित करने के लिए अभियोजन की ओर से 13 गवाह पेश किए गए। उन्हें बताया कि दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने कुंवरपाल और उसके पुत्र मोहित को हत्या का दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। दोनों हत्यारों पर 12.5-12.5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता किरण पाल कश्यप ने बताया कि हत्याकांड के समय एक पुलिसकर्मी फरार हो गया था। कोर्ट ने उसे पक्षद्रोही भी घोषित किया था। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने एसएसपी को पुलिसकर्मी गौरव के विरुद्ध समुचित विभागीय कार्रवाई करने के लिए लिखा है।