नई दिल्ली। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में बुधवार को किसानों को देश की सबसे बड़ी ताकत करार दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि किसान अंग्रेजों के जमाने से संघर्ष करते रहे हैं और हर बार उन्होंने शासन को झुकने के लिए मजबूर किया। उन्होंने 1900 के दशक में पंजाब में हुए किसान आंदोलनों के दौरान लोकप्रिय गीत ‘‘पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल’’ की कुछ पंक्तियों को भी उद्धृत किया और कहा कि किसानों ने अंग्रेज सरकार को भी अपने कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। आजाद ने जब यह बात कही, प्रधानमंत्री मोदी उस समय सदन में मौजूद थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर सदन में हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि किसान हमेशा से संषर्ष करते रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने विभिन्न किसान आंदोलनों का भी विस्तार से जिक्र किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। आजाद ने कहा कि किसानों की ताकत देश की सबसे बड़ी ताकत है और उनसे लड़ाई कर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। उन्होंने कहा कि अगर लड़ना ही है, तो चीन, पाकिस्तान और कोरोना वायरस लड़िए। चर्चा में भाग लेते हुए आजाद ने ‘‘जय जवान, जय किसान’’ नारे का जिक्र करते हुए कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा में लगे सैनिक अत्यंत प्रतिकूल स्थिति में रहते हैं जहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। उन्होंने पिछले साल गलवान घाटी में शहीद हुए देश के 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले ढाई महीने से चल रहे आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को भी श्रद्धांजलि दी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बुधवार को राज्यसभा में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन निर्दोष किसानों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भी मांग भी की। आजाद ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बेहद निंदनीय है और उस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन इस क्रम में निर्दोष किसानों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने 26 जनवरी के दिन गुम हुए लोगों की तलाश किए जाने की भी मांग की। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि जो व्यक्ति देश का पूर्व विदेश राज्य मंत्री रह चुका हो तथा विश्व में देश का नेतृत्व कर चुका हो, जिसे लोगों ने लोकसभा के लिए चुना हो, वह व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है।
आजाद ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर जो गतिरोध बना है, वह नया नहीं है और किसान सैंकड़ों साल से संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान देश के अन्नदाता हैं और हम उनके बिना कुछ भी नहीं हैं। सरकार को उनसे क्या लड़ना है, हमें चीन, पाकिस्तान जैसी चुनौतियों से लड़ना है और इस लड़ाई में उनकी पार्टी सरकार के साथ है। आजाद ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने और संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने का जिक्र करते हुए सरकार से मांग की कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व की स्थिति में ही वहां विकास हो सकता है और शांति व्यवस्था कायम हो सकती है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पर्यटन, शिक्षा, रोजगार सहित विभिन्न क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हालांकि उन्होंने जम्मू कश्मीर में स्थानीय चुनाव संपन्न कराने के लिए सरकार की सराहना की।
भाजपा सदस्य विजयपाल सिंह तोमर ने धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले उत्पादन बढ़ाए जाने पर जोर था, लेकिन अब किसानों को लाभ देने पर जोर है। उन्होंने कहा कि फसलों के खेतों से ग्राहकों तक पहुंचने के दौरान बड़ी राशि बिचौलियों के हाथों में चली जाती है। नए कानूनों से ऐसी स्थिति में कमी आएगी और किसानों को अपनी फसलों की बेहतर कीमत मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि खेती को लाभदायक बनाने के लिए उसमें विविधता लाना जरूरी है और यह नए कानूनों से ही संभव है। उन्होंन सवाल किया कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट 2006 में ही आ गयी थी लेकिन उसे 2014 तक लागू नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि नए कानूनों के संबंध में लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है और हताश लोग किसानों के कंधों पर रखकर बंदूकें चला रहे हैं।