मुजफ्फरनगर. गांव-देहात की पगडंडी पर परिवहन निगम बस दौड़ाने से पहले सर्वे कराएगा। गांव-देहात की सड़कों और घुमावदार मोड़ की गहराई से पड़ताल होगी। निगम के पास लंबी बसें है, जिन्हें संचालन के लिए पर्याप्त चौड़ी सड़क चाहिए। जुलाई माह में कांवड़ यात्रा आरंभ होने से शहरी क्षेत्रों में भीड़-भाड़ बढ़ेगी। इसलिए देहात के ऐसे क्षेत्रों की सूची बनाई जा रही है, जहां बस संचालन आसानी से हो सकता है।
डिपो में 84 बसों के लिए निर्धारित हैं 24 रूट खतौली रोडवेज डिपो के पास निगम और अनुबंधित मिलाकर 84 बसें है। इनके लिए 24 रूट बनाए गए हैं। इनमें 13 मार्ग शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से जुड़े हैं, जबकि 11 रूट हाईवे समेत शहरी क्षेत्रों के है, जिनपर निर्बाध बस सेवा रहती है। ग्रामीण मार्गों में खतौली से बुढ़ाना रूट शामिल है। शहरी क्षेत्र में मेरठ-गाजियाबाद, कौशांबी के अलावा देहरादून, हरिद्वार, मुजफ्फरनगर का रूट है।
ये रूट डिपो की बड़ी आय वाले हैं। खतौली रोडवेज डिपो आय बढ़ाने को ग्रामीण क्षेत्रों में बस संचालन के लिए सर्वेक्षण की तैयारी कर रहा है। यहां होगा सर्वेक्षण डिपो स्तर से फलावदा, कैलावड़ा कलां मार्ग, चांदसमद-जसौला मार्ग के साथ फुलत-चंदसीना मार्ग पर बस संचालन के लिए सर्वे किया जाएगा। डिपो अधिकारी यह पड़ताल करेंगे कि बसों के आवागमन के लिए सड़क कैसी है और यहां से औसतन कितने यात्री निकलते हैं। सड़क की चौड़ाई और मोड़ किस तरह के हैं, यह भी देखा जाएगा। बस संचालन के लिए लोड फैक्टर कम से कम 60 प्रतिशत होना चाहिए।
इन क्षेत्रों में संचालन संभव खतौली के जानसठ मार्ग, फलावदा मार्ग, मीरापुर-घटायन मार्ग पर बस संचालन संभव है। यहां पर प्राइवेट बस चलाई जा रही हैं। ऐसे में डिपो यहां अपनी बसें चलाएगा तो यात्रियों को भी लाभ मिलेगा। वर्जन देहात के मार्गों के लिए सर्वेक्षण कराया जाएगा।
देहात में अधिकतर सड़कों पर मोड़ ठीक नहीं है, जिससे डिपो की लंबी बसों के आवागमन में बाधा होती है। मोड़ के साथ एकल रोड पर आमने-सामने से वाहन पास नहीं होता है। ऐसे में बस रुकती है तो अतिरिक्त डीजल खपत बढ़ती है।