नई दिल्ली। तालिबान की हिंसक गतिविधियों की तर्ज पर वर्ष 1947 तक भारत को मुस्लिम देश के रूप में कन्वर्ट कर देने की साजिश में लगे कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर NIA और ED की देशव्यापी छापेमारी के बाद उसके खिलाफ एजेंसियों को ऐसे हैरतअंगेज सबूत हाथ लगे हैं, जिनके बारे में जानकर अधिकारी भी हैरत मे हैं. सूत्रों के मुताबिक इन सबूतों के आधार पर केंद्र सरकार PFI पर बैन लगाने का विचार करर ही है. अगले कुछ दिनों में इस संबंध में आधिकारिक घोषणा हो सकती है.
NIA और ED की टीमों ने 22 सितंबर को देश के 6 राज्यों में एक साथ छापेमारी की कार्रवाई की थी. इस छापेमारी में कट्टरपंथी संगठन PFI के 106 कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया गया. साथ ही देश को मुस्लिम मुल्क में तब्दील करने की साजिश के कई सनसनीखेज सबूत भी हासिल किए गए. इस राष्ट्रव्यापी छापेमारी से 4 दिन पहले भी ईडी ने देश के कई राज्यों में पीएफआई में छापे मारे थे और संगठन के फंडिंग पैटर्न को समझने की कोशिश की थी.
इस छापेमारी से पहले ही कई राज्य सरकारें PFI को बैन करने की केंद्र से मांग कर रही थीं. उनकी मांगों पर केंद्र सरकार गंभीर थी लेकिन कोई भी कदम उठाने से पहले वह कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन की पूरी कुंडली जांच लेना चाहती थी. ईडी और एनआईए की राष्ट्रव्यापी छापेमारी के बाद अब केंद्र सरकार को PFI के खिलाफ ऐसे ठोस सबूत मिल गए हैं, जिनके आधार पर वह उसे बैन करने की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ गई है.
प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का ही बदला हुआ रूप है. जब सरकार ने SIMI पर बैन लगाया तो इसके सदस्यों ने नया संगठन PFI और इंडियन मुजाहिदीन बना लिया. उदाहरण के लिए पीएफआई नेता अब्दुल रहमान पहले SIMI का राष्ट्रीय सचिव हुआ करता था. वहीं पीएफआई में केरल राज्य सचिव अब्दुल सत्तार भी पहले SIMI से जुड़ा हुआ था.
सूत्रों का कहना है कि PFI नेता पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ मिलकर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. उन्हें ऐसा करने के लिए पाकिस्तान के साथ ही खाड़ी और मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों से भी निर्देश मिल रहे थे.
जांच में सामने आया है कि पीएफआई के सदस्य मोहम्मद साकिब ने हवाला चैनल के जरिए पाकिस्तान से पीएफआई को करोड़ों रुपये भेजे थे. साकिब का एक दोस्त एस इस्माइल उन लोगों के लिए काम कर रहा था जो भारत में आईएसआईएस गतिविधियों का समर्थन कर रहे थे.
PFI नेता बहुत शातिर तरीके से काम कर रहे थे. वे बैंकों के जरिए पैसा मंगाने के बजाय हवाला के जरिए फंड इकट्ठा करते थे. इसके बाद उसे देश में कट्टरपंथी हिंसा भड़काने के लिए उसे अपने कैडर में बंटवा देते. बाहर से हुई ऐसी ही फंडिंग के जरिए केरल में प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ की जघन्य हत्या की गई. उनका कसूर केवल इतना था कि उन्होंने वर्ष 2013 में पीएफआई पर राज्य में गैर-मुस्लिमों की हत्या में लिप्त होने के आरोप लगाए थे.
PFI से जुड़े कुल कुल 19 मामलों की जांच कर रही है. लगभग 46 आरोपी जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था, उन्हें 2010-11 के मामलों में दोषी ठहराया गया था. पीएफआई के करीब 355 सदस्यों के खिलाफ एजेंसी पहले ही चार्जशीट कर चुकी है.