नई दिल्ली. स्वास्थ्य बीमा बढ़ते इलाज खर्च का बोझ उठाने का सबसे बेहतर साधन है. यही कारण है कि अब हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर लोग जागरुक हुए हैं. कोविड-19 के बाद तो स्वास्थ्य बीमा कराने वाले लोगों की तादात में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है. लेकिन ज्यादातर ट्रेडिशनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में ओपीडी कवर शामिल नहीं होता है. इसका मतलब है कि हॉस्पिटल में दाखिल हुए बगैर अगर आप इलाज कराते हैं तो आपको अपनी जेब से खर्च करना होगा. यह खर्च काफी ज्यादा होता है. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में ओपीडी कवर का होना बहुत जरूरी है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पॉलिसी बाजार के हेल्थ और ट्रैवल इंश्योरेंस हेड अमित छाबड़ा का कहना है कि ओपीडी कवर की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि टोटल हेल्थकेयर खर्च में से केवल ओपीडी खर्च ही 70 फीसदी तक होता है. ज्यादातर बीमारियों में मरीज को अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत नहीं होती. उसे केवल अस्पताल जाकर डॉक्टर से परामर्श लेकर टेस्ट आदि कराकर दवाइयां लेकर ही आना होता है. अब कंपनियां इंश्योरेंस पॉलिसी में इन-बिल्ट या एड ऑन के रूप में ओपीडी कवर उपलब्ध करवा रही हैं. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपकी पॉलिसी में ओपीडी कवर हो. अगर पॉलिसी में इन बिल्ट ओपीडी कवर नहीं है तो एड ऑन से इसे पॉलिसी में शामिल करें.
ओपीडी खर्च तब होता है जब हम अस्पताल में डॉक्टर से परामर्श लेने, चेक-अप कराने या फिर कोई टेस्ट कराने जाते हैं. बिना ओपीडी कवर के इन सबके लिए हमें जेब से पैसे चुकाने होते हैं. ओपीडी कवर में ये चीजें शामिल होती हैं-
डॉक्टर से परामर्श : ओपीडी कवर में डॉक्टर से परामर्श के लिए लगने वाली फीस शामिल होती है. किसी के बीमार होने पर अस्पताल के कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. हर बार डॉक्टर को परामर्श फीस चुकानी होती है.
डॉयग्नोस्टिक टेस्ट्स : बीमार होने पर कई तरह के टेस्ट भी कराने पड़ सकते हैं. वास्तविक रूप से इलाज शुरू होने से पहले इन पर काफी खर्च हो जाता है. अगर आपकी पॉलिसी में ओपीडी कवर होगा तो आप इस खर्च से बच जाएंगे.
कोई भी ओपीडी कवर के साथ आने वाली हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसी या ओपीडी एड ऑन लेने से पहले कुछ बातों की जानकारी जरूर ले लेनी चाहिए. ऊपर बताए गए खर्चों के अलावा बहुत सी कंपनियां ओपीडी कवर में लैब टेस्ट्स, एक्स-रे, वेक्सिनेशन, आंख, कान और दांतों के इलाज पर हुए खर्च का भी भुगतान करती हैं. इसलिए ऐसी पॉलिसी लेनी चाहिए जिनमें ये सब आपको मिले.
ओपीडी कवर के साथ आने वाली कुछ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड होता है, जबकि कुछ में ऐसी कोई शर्त नहीं होती. इसलिए वेटिंग पीरियड के बारे में जरूर जान लें. इसके कुछ कंपनियां 3,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक का सम एश्योर्ड देती हैं. इसकी भी जानकारी ले लें. ओपीडी कवर वाली पॉलिसी लेते समय यह बात जरूर ध्यान रखें की अगर आप कैशलेस ऑप्शन चुन रहे हैं तो यह सुविधा केवल कंपनी के नेटवर्क अस्पताल में ही मिलेगी, दूसरे अस्पतालों में नहीं. तो पॉलिसी लेते समय उस कंपनी का चुनाव करें, जिसके पास ज्यादा नेटवर्क अस्पताल हो.