नई दिल्ली। दुनिया भर में बिना ड्राइवर के चलने वाली गाड़ियां ऑटो इंडस्ट्री की सबसे बड़ी टेक्नालॉजी है। इस समय पहले की तुलना में गाड़ियां इतनी एडवांस हो चुकी हैं कि लोग ऑटोमैटिक यानी ड्राइवरलेस गाड़ियों को भविष्य बता रहे हैं। हालांकि, अभी भी इन गाड़ियों को लेकर लोगों के मन में अविश्वास है, क्योंकि लोगों का मानना है कि हम टेक्नालॉजी पर पूरी तरह से निर्भर नहीं हो सकते हैं। इस खबर में आपको बताएंगे, ऑटोमैटिक कार कैसे करती है और उसके नुकसान के बारे में।
सेल्फ ड्राइविंग कारें सड़कों पर नेविगेट करने के लिए ऑटोमैटिक सेफ्टी फीचर्स के साथ बिना ड्राइवर के चलने के लिए पूरी तरह से टेक्नालॉजी पर निर्भर है। सेल्फ ड्राइविंग कारों कैमरे, सेंसर रडार, जीपीएस, सॉफ्टवेयर, सड़क की स्थिति आदि को बेस बनाकर गाड़ी को सड़क पर चलने में मदद करता है।
ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, इलेक्ट्रॉनिक स्थिरता नियंत्रण, आगे टक्कर चेतावनी, लेन डिपार्चर वार्निंग, ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम,लेन सेंट्रिंग एसिस्ट, पैदल यात्री और पीछे स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग, रियर क्रॉस ट्रैफिक अलर्ट, रियरव्यू वीडियो निगरानी प्रणाली, एडॉप्टिव क्रूज कंट्रोल, लेन कीप असिस्ट, सेल्फ पार्किंग ,ट्रैफिक जाम सहायता जैसे सेफ्टी फीचर्स ऑटोमैटिक कारों के सुरक्षित ढंग से चलने में मदद करते हैं। उपर बताई गईं सभी सेफ्टी फीचर्स एडास फीचर्स के अंतर्गत आती हैं।
हाल के दिनों में ऑटोमैटिक कारों से होने वाले हादसों की खबर आई है, वहीं कई बार सेल्फ ड्राइविंग कारों से होने वाले एक्सिडेंट की सूचना मिली है। इन सब खबरों को सुननें के बाद लोगों के मन में केवल एक ही सवाल आता है कि सेल्फ ड्राइविंग कार चलाना कितना सेफ है। बता दें, एडास टेक्नालॉजी के आने के बाद हम यह कह सहते हैं कि पहले की तुलना में गाड़ियों को चलना काफी सुरक्षित हो गया है, लेकिन हम पूरी तरह से आंख मूदकर भरोसा नहीं कर सकते हैं।
ऑटोमैटिक गाड़ियां वर्तमान में अनियमित इंडस्ट्री है, अभी इस पर कोई कानून नहीं बना है। नतीजतन, सॉफ्टवेयर हैकिंग, रिमोट कंट्रोल और कंप्यूटर वायरस के जरिए इन गाड़ियों को काबू करने के चांसेज हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक हैकिंग जैसा कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन यह भी बात नहीं छिपी है कि टेक्नालॉजी को काबू में किया जा सकता है।