मुजफ्फरनगर । बहुजन समाज पार्टी के लगातार इनकार के बावजूद इंडिया में जाने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। सियासी गलियारों में नए सिरे से टिकट के बंटवारे और प्रत्याशियों में फेरबदल की भी चर्चाएं हैं।
बार-बार इन्कार के बावजूद बसपा के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। कांग्रेस, बसपा और सपा ने अगर साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो सियासी मुकाबलों में नया मोड़ आएगा। यही नहीं नए सिरे से टिकट बंटवारा और प्रत्याशियों को इधर-उधर भेजकर चुनाव लड़ाने की संभावना भी है।
लोकसभा चुनाव की चर्चा के केंद्र में एकाएक बसपा खड़ी हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद बसपा के इंडिया गठबंधन के साथ जाने की चर्चा चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो सियासी समीकरण बदलते हुए देर नहीं लगेगी। अधिकतर सीटों पर भाजपा के साथ सीधा मुकाबला होगा।
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान और सपा ने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अब इंतजार सिर्फ बसपा के अगले कदम का है। बसपा अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो त्रिकोणीय मुकाबला होगा, लेकिन अगर इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी होती है तो सीधे मुकाबले के आसार बन जाएंगे।
बसपा, सपा और कांग्रेस के एक साथ चुनाव मैदान में आते ही मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर दलित-मुस्लिम एवं अन्य मतों का मजबूत समीकरण बनेगा। साल 2009 में भाजपा और रालोद ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, तब भी बसपा से चुनाव लड़े कादिर राणा ने जीत हासिल की थी।
अगर बसपा विपक्ष के गठबंधन में आती है तो पश्चिम यूपी की कई सीटों पर प्रत्याशियों में फेरबदल की संभावना बनेगी। ऐसी स्थिति में बिजनौर सीट बसपा के पास रहने की संभावना है। यही वजह है कि फिलहाल कांग्रेस, बसपा और सपा ने अपने प्रत्याशियों की नई सूची जारी नहीं की है। सियासत के जानकारों का दावा है कि आचार संहिता लगने का इंतजार किया जा रहा है।
पूर्व सांसद कादिर राना बिजनौर लोकसभा सीट से सपा के कोटे से टिकट के दावेदार हैं। जबकि मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी घोषित किया जा चुका है।
लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो पश्चिम यूपी में रालोद का खाता खाली हो गया था, लेकिन बसपा ने यहां दो सीटें जीत ली थी। इनमें सहारनपुर और बिजनौर सीट पर बसपा के प्रत्याशी जीतकर सांसद बने थे।