नई दिल्ली।होली का त्योहार इस वर्ष 25 मार्च को मनाया जा रहा है। एक दिन पहले यानी 24 मार्च को होलिका दहन है। होली का नाम आते ही आंखों के सामने कई तरह के रंग दिखने लगते हैं। रंग बिरंगे चेहरे, पिचकारी लिए बच्चे और अबीर गुलाल एक दूसरे के गाल पर लगाते दोस्त-रिश्तेदार। यही तो होली का एक अन्य अर्थ भी है। बच्चों से लेकर बड़े तक होली को लेकर उत्साहित रहते हैं। बाजार में तरह-तरह के रंग, अबीर गुलाल बिकना शुरू हो गए हैं। होली में रंगों की मांग बढ़ने पर कई तरह के केमिकल युक्त रंग बाजार में मिलने लगते हैं। प्राकृतिक रंग त्वचा की सेहत को बिगड़ने नहीं देते, जबकि केमिकल मिले रंग या नकली रंग त्वचा पर रिएक्शन करते हैं। जिससे खुजली, जलन समेत कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। होली पर रंग खरीदते समय ध्यान रखें कि वह प्राकृतिक और मिलावटी न हो। यहां असली और नकली रंग की पहचान के तरीके बताए गए हैं, रंग खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखें।
होली के लिए रंग खरीद रहे हैं तो पैकेट वाले रंग की पैकेजिंग की जांच अच्छे से कर लें। पैकेजिंग में सामग्रियों का विवरण दिया होगा, जिसे ध्यान से पढ़ें। अगर रंगों को बनाने में गुलाब, हल्दी जैसी सामग्री का उपयोग किया गया है जो समझ जाएं कि यह प्राकृतिक रंग है। अगर रंग बनाने की सामग्री में केमिकल का उपयोग हुआ है तो रंग बिल्कुल न खरीदें।
रंग बनाने की सामग्री की जांच करने के साथ ही पैकेजिंग में उनकी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट दी होती है। रंग खरीदते समय उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें। नेचुरल रंगों में प्राकृतिक चीजों का उपयोग होने के कारण उसकी एक्सपायरी डेट 6-7 महीने की ही होती है।
रंगों की पैकेजिंग पर लैब टेस्ट सर्टिफिकेट नंबर लिखा रहता है। ऑर्गेनिक कलर्स बनाने वाले निर्माता रंगों की जांच के बाद उसके पैकेट पर लैब टेस्ट सर्टिफिकेट नंबर दर्ज कराते हैं। रंग खरीदते समय आप इस नंबर की जांच कर लें। अगर नंबर न लिखा हो तो रंग न खरीदें।
होली के रंग खरीदते समय असली और नकली रंग की पहचान कर लें। प्राकृतिक रंगों में चमक कम होती है और केमिकल युक्त रंगों में स्पार्कल होता है, इससे वह चमकीले दिखते हैं। चमचमाहट वाले रंग न खरीदें।
रंग खरीदते समय उसे छूकर देखें, कई बार कांच को पीसकर रंग में मिला दिया जाता है, जिससे वह चमकदार दिखते हैं, ऐसे रंग त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।