नई दिल्ली। जब भी हम घर बनाने के लिए होम लोन लेने की सोचते हैं तो हम सबसे पहले ये देखते हैं कि कौन-सा बैंक कम ब्याज दर में लोन दे रहा है। हमें कोई भी लोन लेते वक्त काफी सावधान रहना चाहिए। एक छोटी-सी गलती बहुत बड़ा नुकसान करवा सकती है।
होम लोन जैसे कर्ज को हम कुछ दिन या महीने में नहीं चुका सकते हैं, यह एक बड़ा मामला है। ऐसे में हमें कुछ ज्यादा ही सावधान रहना चाहिए।
भारत में कई ऐसे संस्थान या बैंक हैं जो ये दावा करते हैं कि वो सबसे अच्छा और सस्ता होम लोन देते हैं। अगर कोई भी आपको कम ब्याज दर में लोन दे रहा है तो इसका ये मतलब नहीं होता है कि वो बेस्ट है। कभी भी कोई लोन लेते वक्त आपको उसके सारे चार्जेस और उसके दिशा-निर्देश के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए।
आपको कभी भी उन लेंडर के पास नहीं जाना चाहिए जो ‘पहले आओ- पहले पाओ’ की पॉलिसी पर काम करते हों। आइए, जानते हैं आपको होम लोन लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
लोगों को ऐसा लगता है कि वो लोन काफी किफायती होता है जिनकी ब्याज दर कम होती है। जबकि ऐसा नहीं होता है। अगर आपको बैंक कम ब्याज दर में लोन देता है, तब आपको एक बार बैंक कीअधिकारिक वेबसाइट पर जाकर चेक करना चाहिए।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में महिलाओं को 8.60 फीसदी और बाकी को 8.70 फीसदी के इंटरेस्ट रेट के हिसाब से लोन दिया जाता है। अगर बैंक लचीले नियमों और शर्तों के साथ समान ब्याज दर की पेशकश कर रहा है। तब आप उस बैंक से लोन ले सकते हैं।
अगर आपको 3 साल सा 5 साल तक एक ही इंटरेस्ट रेट पर लोन मिल रहा है तो वो काफी फायदेमंद होता है। वहीं अगर बैंक 20 साल तक के लोन पर फिक्स्ड रेट से इंटरेस्ट नहीं दे रहा है, तब आपको इस तरह के लोन नहीं लेने चाहिए।
लोन पर फिक्सड रेट का मतलब होता है कि आपके लोन के टैन्योर पर बैंक आपसे एक निश्चित ईएमआई ही लेती है, वहीं फ्लोटिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट में ब्याज दर में महीने-दर-महीने बदलाव किया जाते हैं। ये बदलाव आरबीआई के रेपो रोट के हिसाब से किया जाता है।
अगर आरबीआई ने अपने इंटरेस्ट रेट में बदलाव किया है तो उसका असर फ्लोटिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट वाले लोन पर पड़ता है। फिक्स्ड इंटरेस्ट वाले लोन में आपको फोरक्लोजर पेनल्टी देनी होती है। अगर आप अपने लोन का बकाया राशि देने का सोच रहें है तो आपको इस पर फोरक्लोजर पेनेल्टी देनी होगी।
आप लोन लेते समय उसी लेंडर का चयन करें, जो आपको मासिक नहीं बल्कि दैनिक घटते बैलेंस की पेशकश कर रहा है। यह आपके आंशिक भुगतान पर प्रभाव डालता है। अगर आप इंटरेस्ट की मासिक घटती दर ले रहे हैं, तब आपको दो ईएमआई के बीच किए गए प्री-पेमेंट को अगले महीने की ब्याज दर से लिया जाएगा। वहीं अगर आप अपना लोन बंद करना चाह रहे हैं तब आपको ज्यादा पैसे का भुगतान करना होगा।
किसी खास बैंक में पहले से आवेदन करने या न करने का मन न बनाएं, क्योंकि आपके परिवार, रिश्तेदारों या दोस्तों का बैंकों के साथ कुछ अच्छे या बुरे अनुभव हो सकते हैं। लोन लेने का फैसला हमेशा कैलकुलेशन करके लेना चाहिए। भावनाओं के आधार पर इसका निर्णय नहीं करना चाहिए।
लोन लेते वक्त आपको बैंक के रिव्यू और कमेंट्स के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए। अगर कई ग्राहक बैंक के बारे में गलत रिव्यू दे रहें हैं तो ऐसे में आपको एक बार सोचना चाहिए। अगर ग्राहक अच्छा रिव्यू दे रहें, तब भी आपको सोचकर ही फैसला लेना चाहिए।
लोन लेने से पहले आपको एक्सपर्ट का सुझाव जरूर लेना चाहिए। इस क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति आपको सही सुझाव देंगे। एक्सपर्ट आपको बैंक के नियम-शर्तों और बाकी फेक्टर के बारे में जानकीरू देता है। आप एक्सपर्ट के अलावा बैंकों में जाकर भी पता लगा सकते हैं. जहां आप बैंक के कैलकुलेशन उनके लोन पैरामीटर का जानकारी ले पाएंगे।
लोन लेते समय होम लोन के तहत विभिन्न प्रोडक्ट्स के बारे में भी जानकारी लेने की कोशिश करें। कुछ बैंक होम लोन के तहत कई लोन प्रोडक्ट्स की पेशकश करते हैं। इसलिए आपको होम लोन के बाकी उत्पादों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए, जिसके बाद आप अपनी आवश्यकताओं के लिए सबसे सही प्रोडक्ट्स को चुन पाएं।
लोन लेते समय आपको बैंक के पोस्ट सेल अनुभव के बारे में भी जरूर जान लेना चाहिए। हम इस तरफ कई बार ध्यान नहीं देते हैं। अगर बैंक के पोस्ट सेल एक्सपीरियंस अच्छे नहीं है, तब आपको वो बैंक में लोन नहीं लेना चाहिए।
अगर आप किसी जगह पर शिफ्ट हो जाते हैं, या आप डुप्लीकेट दस्तावेज़ चाहते हैं या डुप्लीकेट वार्षिक फंड स्टेटमेंट चाहते हैं, ऐसे में अगर बैंक ग्राहक के अनुकूल नहीं है, तो बैंक के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाए रखना कठिन हो जाता है।
आपको 5-6 बैंकों से जानकारी कलेक्ट करनी चाहिए। साथ ही आपको हर बैंक के नियमों उनके सभी फैक्टरों की तुलना करने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए।
लोन लेते वक्त आपको कोई हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए। आपको सारे दस्तावेज ध्यान से पढ़ना चाहिए। बैंक के सभी नियम-शर्तों को पढ़ने के बाद ही हस्ताक्षर करना चाहिए। अगर आपको कहीं भी किसी तरह की कोई शंका होती है तब आपको पहले शंका दूर करना चाहिए, उसके बाद ही हस्ताक्षर करना चाहिए।