आगरा। कोविड संक्रमण, चाइनीज सामान पर प्रतिबंध, रशिया-यूक्रेन युुद्ध, डालर के मुकाबले गिरता रुपया और अब चाइना-ताइवान तनाव। एक के बाद एक लगातार राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कारणों से कंप्यूटर बाजार 2020 से अब तक संभल नहीं पा रहा। चिप व पार्ट्स की सीमित सप्लाई के कारण कंप्यूटर-लैपटाप के दाम दो सालों में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ गए हैं।
हालात यहीं थम जाते, तो भी गनीमत थी, लेकिन अब भी कंप्यूटर-लैपटाप और उनसे जुड़ी एसेसरीज के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर सीधा-सीधा असर पड़ रहा है। लाकडाउन के बाद स्कूल-कालेज भले खुल गए, लेकिन आनलाइन कक्षा व स्टडी के नाम पर कंप्यूटर बच्चों की पढ़ाई का अनिवार्य अंग बन गया है, जिस कारण शिक्षण शुल्क, किताब, ट्यूशन, यूनिफार्म के खर्च के साथ कंप्यूटर आदि का अतिरिक्त खर्चा भी बजट में जुड़ गया है इसलिए लोग सरकार से महंगाई पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की मांग करने लगे हैं।
इनके बढ़े दाम
सामान 2020 2022
– रैम (चार जीबी) 1200 1600
– प्रोसेसर 5500 6500
– कीबोर्ड 220 275
– कैबिनेट 1000 1300
– यूपीएस 1300 2200
– मानिटर 4000 7500
– प्रिंटर 10000 17000
– माउस 100 150
– प्रिंटिंग पेपर (ए4 साइज पैक) 150 300
– लैपटाप (शुरुआती रेंज) 25-30 हजार 40 से 45 हजार
महंगाई के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियों के कारण कंप्यूटर का सामान लगातार प्रभावित है। चाइना का माल ताइवान से आता था, लेकिन अब तनाव के बाद यह दुबई के रास्ते आ रहा है, भाड़ा बढ़ने से कंप्यूटर, चिप व अन्य पार्ट्स व एसेसरीज के दाम अनिश्चित बने हुए हैं।
कोविड में दो साल चाइना में लाकडाउन से फैक्ट्रियों भी बंद रही, जिससे स्टाक पर मनमाने दाम बढ़ गए। रशिया-यूक्रेन युद्ध से चिप व अन्य उत्पादों के दाम बढ़ा दिए। डालर के मुकाबले रुपया कमजोर होने का असर भी बाजार पर पड़ा। अब चाइना-ताइवान तनाव ने समस्या और विकराल कर दी है।