नई दिल्ली. अगर आप लगातार बैंकों में जाकर लेनदेन करते हैं तो आने वाले दिनों में आपको अपनी पहचान चेहरे और आंखों के जरिए प्रूफ करनी होगी. बैंकिंग धोखाधड़ी और टैक्स चोरी को कम करने के नजरिये से भारत सरकार ने बैंकों को इन सख्त नियमों को लागू करने की अनुमति दे दी है. केंद्र सरकार बैंकों को चेहरे की पहचान और कुछ मामलों में आंखों का आईरिस स्कैन का उपयोग करके एक निश्चित वार्षिक सीमा से ज्यादा पर्सनल ट्रांजेक्शन को सत्यापित करने की अनुमति दे रही है.
कुछ बड़े निजी और सार्वजनिक बैंकों ने इस विकल्प का उपयोग करना शुरू कर दिया है, एक बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सत्यापन की अनुमति देने वाली एडवाइजरी को सार्वजनिक नहीं किया गया है और पहले से इसकी सूचना भी नहीं दी गई है.
हालांकि यह वेरिफिकेशन अनिवार्य नहीं है लेकिन उन मामलों में जरूरी होगा है जहां टैक्स से जुड़े मामलों में सरकारी पहचान पत्र, पैन कार्ड, बैंकों के साथ साझा नहीं किया गया है. बैंकों द्वारा ग्राहकों के चेहरे की पहचान का उपयोग करने वाले इस कदम से प्राइवेसी से जुड़े मामलों की समझ रखने वाले विशेषज्ञ थोड़े चिंतित हैं.
अधिवक्ता और साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने लाइव मिंट से कहा, “यह विशेष रूप से गोपनीयता संबंधी चिंताओं को बढ़ाता है, जब भारत में गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और चेहरे की पहचान पर एक मजबूत कानून का अभाव है.” हालांकि, सरकार ने कहा है कि वह 2023 की शुरुआत तक संसद से नए प्राइवेसी कानून को मंजूरी मिल जाएगी.
नाम न छापने की शर्त पर दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि नए उपायों का इस्तेमाल एक वित्तीय वर्ष में 20 लाख रुपये से अधिक जमा और निकासी करने वाले व्यक्तियों की पहचान को सत्यापित करने के लिए किया जा सकता है, जहां पहचान के प्रमाण के रूप में आधार पहचान पत्र साझा किया जाता है. क्योंकि जानकारी सार्वजनिक नहीं है.
आधार कार्ड में एक व्यक्ति की उंगलियों के निशान, चेहरे और आंखों के स्कैन से जुड़ी एक अनूठी संख्या होती है. दिसंबर में भारत के वित्त मंत्रालय ने बैंकों से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के एक पत्र पर “आवश्यक कार्रवाई” करने के लिए कहा, जिसमें सुझाव दिया गया था कि सत्यापन चेहरे की पहचान और आईरिस स्कैनिंग के माध्यम से किया जाना चाहिए, खासकर जहां किसी व्यक्ति का फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण विफल हो जाता है.