मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने का विधान है। सभी एकादशियों की तरह उत्पन्ना एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी विष्णु भक्त उत्पन्ना एकादशी के व्रत का नियम पूर्वक पालन करते हैं, उन्हें जगत के पालनहार की असीम कृपा प्राप्त होती है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से श्रीहरि विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उस घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती है। पद्मपुराण के अनुसार इस व्रत को करने से धर्म एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसकी पूजा विधि और महत्व…
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 19 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 20 नवंबर रविवार को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार देखा जाय तो उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा।
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है।
उत्पन्ना एकादशी कब? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का समय 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से सुबह 08 बजकर 56 मिनट तक है। व्रती इस समय अपने का पारण कर सकते हैं।
उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है।