मुजफ्फरनगर। भीषण गर्मी के साथ प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। हवा के साथ उड़ रहीधूल से शुक्रवार को मुजफ्फरनगर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 389 दर्ज किया गया। इतना अधिक एक्यूआइ पहुंचने से शहर के कई क्षेत्रों की हवा अधिक बहुत अधिक प्रदूषित होने के संकेत मिल रहे हैं। उधर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से अभी तक प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी स्माग गन सड़क पर नहीं उतारी है।
धूल के साथ उड़ रहे 2.5 पीएम और 10 पीएम के कण लोगों को प्रदूषण की जद में लेकर बीमार कर रहा है। पिछले कई दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़कर अधिक गंभीर श्रेणी तक पहुंच चुका है। गुरुवार को सुबह से ही शहर का प्रदूषण अधिक गंभीर श्रेणी में दर्ज किया जाता रहा। दोपहर 12 बजे के एयर क्वालिटी इंडेक्स बुलेटिन में शहर 378 एक्यूआइ पर रहा। वहीं इसके बाद शाम होते-होते प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ गया।
शाम चार बजे जारी हुआ एयर क्वालिटी इंडेक्स बुलेटिन में 389 एक्यूआइ पर पहुंचा दिखाई दिया। यह एक्यूआइ हर उम्र के लोगों के लिए हानिकारक है। हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कण घूमने के संकेत मिल रहे हैं जो नाक व मुंह के जरिए लोगों के शरीर में प्रवेश कर उन्हें बीमारी की ओर धकेल रहे हैं। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण में करने के लिए छिड़काव कार्य कराए जाएंगे।
शुक्रवार को मुजफ्फरनगर प्रदेश के 11 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रहा। इसके अलावा पड़ोसी जनपद मेरठ भी प्रदूषण के मामले में टाप 10 की सूची में दर्ज किया गया। वहीं गाजियाबाद जनपद सूची में चौथे स्थान पर रहा। कुल मिलाकर मुजफ्फरनगर से गाजियाबाद तक प्रदूषण ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। औद्योगिक इकाइयों व बिल्डिग मैटेरियल बन रहा कारण
बढ़ते प्रदूषण को लेकर शहर के लोग भी चितित हो गए हैं। शांतिनगर निवासी प्रदीप कुमार का कहना है कि भोपा रोड पर शहर में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया जाता है। इसका कारण इस रोड पर चलने वाली औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनकी चिमनियों से इस समय दिन रात धुआं निकलता है। इससे वातावरण जहरीला हो रहा है। वहीं बिल्डिग मैटेरियल का सामान सड़कों तक खुले में पड़ा हुआ है, जो दिनभर उड़कर प्रदूषण को बढ़ावा देता है।