मुंबई. महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से उपभोक्ताओं के हित से जुड़ी खबर सामने आई है. जिला उपभोक्ता न्यायालय ने उबर इंडिया को एक महिला पैसेंजर को बतौर जुर्माना 20000 रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया है. महिला यात्री नेकंज्यूमर कोर्ट में दाखिल याचिका में उबर पर गंभीर आरोप लगाया था. शिकायत में उन्होंने कहा कि उबर कैब चालक की वजह से उनकी फ्लाइट छूट गई. इसके बाद उन्हें दूसरी फ्लाइट बुक करनी पड़ी थी. कोर्ट ने महिला यात्री के दावे को सही पाते हुए उबर इंडिया को दोषी पाया और कंपनी को पैसेंजर को मुआवजा देने का आदेश दिया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेश से वकील दोंबीवली निवासी एक महिला ने मुंबई एयरपोर्ट जाने के लिए उबर ऐप से कैब बुक कराई थी. उन्हें मुंबई से चेन्नई की फ्लाइट लेनी थी. महिला यात्री का आरोप है कि कैब चालक की लेट-लतीफी की वजह से वह देर से एयरपोर्ट पहुंचीं, जिस वजह से उनकी फ्लाइट छूट गई. उन्होंने बताया कि 12 जून 2018 को उन्हें मुंबई से चेन्नई जाना था. मुंबई एयरपोर्ट से 5:50 बजे उनकी फ्लाइट थी. उन्होंने 3:29 बजे उबर कैब बुक कराई थी. एयरपोर्ट उनके आवास से तकरीबन 36 किलोमीटर की दूरी पर है. शिकायतकर्ता ने बताया कि तकरीबन 14 मिनट की देरी से कैब आई.
महिला शिकायतकर्ता के मुताबिक, कई बार कॉल करने के बाद उन्हें उबर कैब चालक ने उन्हें पिक किया था. यह भी आरोप था कि देरी से आने के बाद कैब चालक लगातार फोन पर बात करता रहा. बातचीत खत्म होने के बाद ट्रिप शुरू की गई. महिला ने बताया कि कैब चालक पहले सीएनजी स्टेशन गैस भराने गया उसके बाद लंबा रूट ले लिया. इससे उनका काफी समय खराब हुआ और वह 5:23 बजे एयरपोर्ट पहुंचीं. ऐसे में वह चेन्नई जाने वाली फ्लाइट में बोर्ड नहीं हो सकीं. इसके बाद उन्हें अपने पैसे से दूसरी फ्लाइट बुक करनी पड़ी थी.
महिला पैसेंजर ने इसके बाद कंज्यूमर कोर्ट में याचिका दायर कर दी. सुनवाई के दौरान उबर इंडिया ने दलील दी कि वह कैब एग्रीगेटर है, कैब का ऑनर नहीं. कंपनी सिर्फ पैसेंजर और कैब चालकों के बीच संपर्क स्थापित कराता है. यहां तक कि कैब चालक भी कंपनी के अधीन नहीं होता है. कोर्ट ने उबर इंडिया की दलीलों को खारिज करते हुए महिला के पक्ष में सुनाया. कोर्ट ने कहा कि जिस ऐप से महिला ने कैब बुक की थी, वह उबर का था. इसलिए इसके लिए उबर जिम्मेदार है. कंज्यूमर कोर्ट ने उबर को महिला को 10000 रुपये मानसिक कष्ट और 10000 रुपये मुकदमे पर आए खर्च के तौर पर भुगतान करने का निर्देश दिया.