मुजफ्फरनगर। किसान दिवस के अवसर पर जहां देशभर में पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए उनके आदर्श अपनाने के लिए संकल्प लिया गया, वहीं रालोद नेत्री पायल माहेश्वरी ने एक अलग अंदाज में किसान मसीहा चरण सिंह को याद करते हुए अपनी श्रदांजलि अर्पित की। पायल माहेश्वरी कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए राशन सामग्री लेकर पहुंची। बुधवार को रालोद नेत्री मुजफ्फरनगर निवासी पायल माहेश्वरी अपने परिजनों और पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ किसान आंदोलन के समर्थन में यूपी गेट पर पहुंची।
उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत से मुलाकात की और अन्य किसान संगठनों के नेताओं से मिलकर किसान आंदोलन को लेकर चर्चा की। उन्होंने अपने साथ लाये गये रूखा राशन भाकियू नेताओं को सौंपने के साथ ही किसानों की मदद के लिए आर्थिक सहायता का चेक भी सौंपा। इस अवसर पर पायल माहेश्वरी ने कहा कि किसान करीब एक महीने से भीषण ठण्ड में सड़कों पर रहने के लिए विवश हैं, लेकिन सरकार किसान हितों का ढिंढोरा पीटने के अलावा इस आंदोलन का समाधान निकालने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता जिस कृषि कानूनों को किसानों के हित का निर्णय बता रहे हैं, वह पूंजीवादियों को देश में बढ़ावा देकर किसानों को फिर से गुलाम भारत की तरह अपने ही खेत का मजदूर बनाकर रख देगा।
मुजफ्फरनगरः शासन ने की 19 सरकारी वकीलों की नियुक्त, यहां देखे…
मुजफ्फरनगर। प्रदेश सरकार ने कोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी के लिए 19 सरकारी वकीलों को एक वर्ष के लिए नियुक्त किया है। इनमें 16 फौजदारी व तीन दीवानी मामलों की पैरवी के लिए नामित हुए हैं। प्रदेश शासन से मिली सूची के अनुसार राजीव कुमार डीजीसी फौजदारी , कुलदीप कुमार, एडीजीसी, प्रदीप शर्मा, मनोज कुमार, ललित भरद्वाज ,(पैनल लेयर), सहदेव सिंह(पैनल लॉयर), अरुण कुमार शर्मा, एडीजीसी , परविंदर कुमार , ओमप्रकाश उपाध्याय, एडीजीसी, अरुण कुमार, अनोद कुमार, नीरज कांत मालिक एडीजीसी, अमित कुमार त्यागी, जोगेन्दर गोयल, सतेंदर कुमार, किरण पाल कश्यप सभी एडीजीसीए बनाए गए हैं।
इसके अलावा दीवानी की पैरोकारी के लिए भी तीन सरकारी वकील नामित हुए हैं इनमें अमित मित्तल, सुधीर बालियान व विनोद कुमार शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार फौजदारी के 16 वकीलों में दो पैनल लायर, एक जिला शासकीय अधिवक्ता 13 सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शामिल हैं।गौरतलब है कि सरकारी वकीलों को लेकर काफी प्रतीक्षा की जा रही थी, क्योंकि कुछ वकीलों के कार्यमुक्त होने से सरकारी वकीलों की कमी हो रही थी। राजीव कुमार पहले से ही डीजीसी फौजदारी का काम देख रहे थे।