मुंबई। इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पांच मैचों की टेस्ट सीरीज ने टीम मैनेजमेंट को अगली पीढ़ी के कुछ सितारों को आजमाने का मौका दिया। सरफराज खान, देवदत्त पडिक्कल, रजत पाटीदार, आकाश दीप और ध्रुव जुरेल ने इस सीरीज से अपने करियर की शुरुआत की। ऐसा कहा जा रहा था कि यह कॉल पूरी तरह से कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा का था कि किन्हें डेब्यू कराया जाए और किन्हें नहीं। हालांकि, अब पता चला है कि इनमें से कुछ डेब्यू मुख्य कोच द्रविड़ या कप्तान रोहित के कहने पर नहीं आए थे। उनकी जगह मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने टीम प्रबंधन पर दबाव डाला कि वह इनमें से कुछ खिलाड़ियों का चयन करें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगरकर ने ही द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा को विकेटकीपर के स्थान के लिए ध्रुव जुरेल का नाम सुझाया था। भारतीय टीम ने पहले दो मैचों के लिए केएस भरत को मौका दिया था, लेकिन यह विकेटकीपर बल्लेबाज ज्यादा प्रभावित करने में कामयाब नहीं हुआ था। वहीं, ध्रुव ने टीम में आते ही एक कीपर और बल्लेबाज दोनों के रूप में एक प्रभावशाली छाप छोड़ी।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा, ‘अगरकर ने ही जुरेल का नाम सुझाया था। टीम प्रबंधन उसे लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं था क्योंकि वह अब भी युवा खिलाड़ी है। एक ऐसे खिलाड़ी को जिसने अभी तक कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला हो और उसे सीरीज के अहम मुकाबले में मौका दे देना टीम मैनेजमेंट के लिए बड़ा कॉल होने वाला था। हालांकि, अगरकर ने इस खिलाड़ी को कई बार देखा था तो उन्होंने रिस्क लेने का फैसला लिया।’ इससे पहले, धर्मशाला टेस्ट के खत्म होने के बाद द्रविड़ ने खुद खुलासा किया था कि अगरकर ही थे जिन्होंने उन्हें और रोहित को टीम में कुछ अनकैप्ड खिलाड़ियों को चुनने के लिए प्रेरित किया था।
अजीत और उनकी टीम को भी श्रेय दिया जाना चाहिए। बहुत सारे युवा जो आते हैं, कोच और कप्तान के रूप में हमें वास्तव में उनमें से बहुत को देखने को नहीं मिलता है। हम उतना घरेलू क्रिकेट नहीं देखते जितना अजीत और उनकी चयनकर्ताओं की टीम देखती है। उन्होंने हमें कहा कि इन्हें शामिल करो। उन्होंने हमें इनमें से कुछ युवाओं को चुनने की चुनौती दी है और वे अब यहां आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। चयनकर्ता होना आसान नहीं होता। आपको हमेशा आलोचना मिलती है, लेकिन अजीत और उनकी टीम की पीठ थपथपाई जानी चाहिए।