नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमतों की सीमा तय करने पर जल्द विचार कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसका उद्देश्य सीएनजी और उर्वरक कंपनियों के लिए इनपुट कॉस्ट को नियंत्रण में रखना है।
सरकार की ओर से साल में दो बार देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस के दाम तय किए जाते हैं, जिसे बाद में गाड़ियों में उपयोग के लिए सीएनजी और घरों एवं उर्वरक कंपनियों में उपयोग होने वाली पीएनजी और एलएनजी में परिवर्तित किया जाता है।
केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक गैस के दाम दो फॉर्मूला से तय किए जाते हैं। पुराने गैस फील्ड जहां से गैस निकालना काफी आसान है, उससे निकलने वाली गैस के दाम अलग होते हैं। वहीं, नए गैस फील्ड जहां से गैस निकालना कठिन है तो उसके दाम अलग तरीके से तय किए जाते हैं।
मौजूदा समय में बात करें तो पुराने गैस फील्ड्स से निकलने वाली गैस का दाम 8.57 डॉलर प्रति mmBtu है और नए गैस फील्ड्स से निकलने वाली गैस का दाम 12.46 डॉलर प्रति mmBtu है।
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि एक अप्रैल को सरकार की ओर से दोबारा देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस का दाम तय किया जाना है। अगर मौजूदा फॉर्मूला के हिसाब से निकाला जाए, तो पुराने गैस फील्ड्स से निकलने वाली गैस का दाम 10.7 डॉलर प्रति mmBtu तक पहुंच सकता है, जबकि नए गैस फील्ड्स से निकलने वाली गैस के दाम में भी कुछ बदलाव आ सकता है।
जब पिछली बार सरकार की ओर से देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस के दामों में बढ़ोतरी की गई थी, तब से लेकर अब तक सीएनजी के साथ घरों में उपयोग होने वाली गैस के दामों में 70 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। अगर एक अप्रैल को गैस की कीमतों में बदलाव होता है, तो एक बार फिर से गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं।