कानपुर. दूसरे का लाइसेंसी असलहा अपने पास रखने के मामले में आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाए गए प्रदेश के लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान को अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव ने एक साल कैद और 1500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर एक माह की कैद और भुगतने का आदेश भी दिया। हालांकि राकेश सचान के प्रार्थना पत्र पर उन्हें फैसले के खिलाफ 15 दिन में सेशन कोर्ट में अपील दायर करने के लिए 20-20 हजार की दो जमानतों और निजी मुचलके पर उन्हें रिहा भी कर दिया गया। नौबस्ता में 13 अगस्त 1991 को तत्कालीन एसओ बृजमोहन उदेनिया ने राकेश सचान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि उनके पास से राइफल बरामद हुई, जिसका लाइसेंस नहीं दिखा सके। इसी मामले में शनिवार को कोर्ट ने अभियुक्त राकेश सचान को दोषी करार दे दिया था।
कैबिनेट मंत्री राकेश सचान अपने अधिवक्ता के चैंबर में
राकेश सचान के खिलाफ मुकदमा वर्ष 1991 में दर्ज हुआ था। उस समय जो आर्म्स एक्ट लागू था, उसी के तहत कोर्ट ने धारा 25 में न्यूनतम एक साल की सजा सुनाई। वर्ष 2019 में आर्म्स एक्ट संशोधन अधिनियम पारित हो गया था। अगर मामले की सुनवाई इस एक्ट के तहत होती तो धारा 25 में न्यूनतम तीन साल की सजा का प्रावधान है।
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जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल से ऊपर सजा होने पर विधानसभा की सदस्यता जा सकती है। एक साल की सजा होने के कारण अब राकेश सचान की विधायकी तो नहीं जाएगी लेकिन मंत्री पद पर फैसला मुख्यमंत्री को करना है। मुख्यमंत्री के सामने अब कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, लेकिन सरकार की छवि को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री क्या फैसला लेते हैं यह देखने वाला होगा।
अभियोजन अधिकारी रिचा गुप्ता ने बताया कि मुकदमे में अभियोजन की ओर से चार गवाह पेश किए गए थे। इनमें वादी मुकदमा सीबीसीआईडी के निरीक्षक बृजमोहन उदेनिया की गवाही मुख्य थी। इसके अलावा सिपाही रामराज गुप्ता, इंद्र बहादुर सिंह व उपनिरीक्षक जयपाल सिंह को गवाह के रूप में पेश किया गया था। सभी ने अभियोजन की घटना का समर्थन किया था जिसके आधार पर राकेश सचान को सजा सुनाई गई।
कर्रही चौराहे पर 13 अगस्त 1991 की रात किदवई नगर निवासी राकेश सचान, घाटमपुर निवासी दिनेश चंद्र सचान और ड्राइवर घाटमपुर निवासी विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया गया था। राकेश के पास से एक राइफल और 9 कारतूस, दिनेश के पास से एक एसबीबीएल गन बरामद हुई थी। दोनों ही असलहों का लाइसेंस नहीं दिखा सके थे। ड्राइवर भी गाड़ी के कागजात और ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिखा सका था।
अधिवक्ता कपिल दीप सचान ने बताया कि ड्राइवर के खिलाफ एमवी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ। दिनेश और राकेश के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा चला। दिनेश और विनोद का मुकदमा पहले ही खत्म हो चुका था। राकेश की फाइल अलग करके एमपीएमएलए कोर्ट भेजी गई थी। जिसके चलते मुकदमा लंबित रहा और 31 साल बाद सोमवार को फैसला आया।
सचान गेस्ट हाउस के पास 13 अगस्त 1991 की रात दो पक्षों में विवाद के बाद तीन लोगों की हत्या हुई थी। इसमें से एक छात्र नेता नृपेंद्र सचान थे। हत्या की सूचना पर ही राकेश वहां पहुंचे थे। इसी बीच पुलिस से उनकी नोकझोंक हो गई और पुलिस ने फर्जी तरीके से उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज कर दिया। यह तर्क कोर्ट में बहस के दौरान राकेश के अधिवक्ता की ओर से रखे गए थे।
राकेश सचान के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 20, 25 और 30 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने उन्हें धारा 20 और 30 के आरोपों से बरी किया है जबकि धारा 25 के तहत दोषी मानकर एक साल की न्यूनतम सजा सुनाई है।
धारा 20 : किसी गैरकानूनी काम के लिए किसी असलहे या गोला बारूद का इस्तेमाल करना। इसमें किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है।
धारा 25 : अवैध रूप से बिना लाइसेंस के असलहा रखना। इसमें कम से कम एक साल और अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है।
धारा 30 : शस्त्र लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन या बनाए गए किसी नियम का उल्लंघन करने वाले को छह माह तक की सजा या दो हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।