यूरिक एसिड लेवल बढ़ना एक गंभीर समस्या है जिसे मेडिकल भाषा में हाइपरयुरिसीमिया कहा जाता है। यह एक क्रोनिक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जिससे आपको गाउट आर्थराइटिस, किडनी की पथरी, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी फेलियर और यहां तक कि हार्ट डिजीज होने के खतरा होता है।
यूरिक एसिड लेवल क्यों बढ़ता है? यह आपके द्वारा खाए-पिए गए प्यूरीन नामक तत्वों से भरपूर खाद्य-पेय पदार्थों से बनता है। इसके बढ़ने पर आपको अपने जोड़ों में गंभीर दर्द, सूजन और अकड़न जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। मेडिकल में यूरिक एसिड के लिए कई उपचार और दवाएं मौजूद हैं लेकिन आप नींबू के जरिए भी इसे कम कर सकते हैं।
साइट्रस यानी खट्टे फलों का रस गाउट के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है और नींबू इसका सबसे बड़ा उदहारण है। चलिए जानते हैं नींबू से किस तरह यूरिक एसिड और किडनी की पथरी का खतरा कैसे कम हो सकता है और आपको इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए।
खून में यूरिक एसिड का लेवल महिलाओं का 6 mg/dL और पुरुषों के लिए 6.8 mg/dL से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे अधिक होने पर हाइपरयुरिसीमिया का संकेत है। इसकी नॉर्मल रेंज 3.5 से 7.2 mg/dL के बीच है।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नींबू के रस से ब्लड में यूरिक एसिड लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। यूरिक एसिड पर नींबू का प्रभाव जानने के लिए वैज्ञानिकों ने यूरिक एसिड वाले चूहों और इंसानों पर अध्ययन किया। अध्ययन से साबित हुआ कि नींबू का रस देने से चूहों और इंसानों का यूरिक एसिड लेवल कम हो गया था।
अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चूहों और इंसानों को 6 हफ्ते तक रोजाना 30ml ताजे नींबू का रस दिया। परिणामों से पता चला कि नींबू के रस ने मानव और चूहों दोनों में सीरम यूरिक एसिड के स्तर को काफी कम कर दिया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि नींबू में ज़ैंथिन ऑक्सीडेज को रोकने की क्षमता होती है। यह एक ऐसा तत्व होता है, जो शरीर में यूरिक एसिड बनाने के लिए जरूरी है।
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में लोगों को रोजाना नींबू का रस या नींबू पानी पीने की सलाह दी है। इसका मतलब यह है कि आप रोजाना ताजे नींबू का रस पी सकते हैं या नींबू का पानी पी सकते हैं। हालांकि आपको मात्रा का ध्यान रखना चाहिए और नींबू पानी में नमक या चीनी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।