मुजफ्फरनगर। जनपद की एक अदालत के निर्णय से शामली के थाना बाबरी प्रभारी वीरेन्द्र कसाना की मुश्किल बढ सकती हैं। सीजेएम कोर्ट ने थाना प्रभारी भोराकला रहते उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार में मुकदमा दर्ज कराए जाने की अर्जी खारिज कर दी थी। लेकिन उच्च अदालत ने सुनवाई करते हुए सीजेएम का उक्त आदेश निरस्त कर फिर से सुनवाई को कहा।
थाना भौराकला क्षेत्र के कस्बा सिसौली निवासी 70 वर्षीय पूर्व शिक्षक आचार्य बंधु के अनुसार उन्होंने गांव में एक प्लाट खरीदकर 3 वर्ष पहले उसमें चिनाई लगाई थी। आरोप था कि उसका विरोध करते हुए गांव के राजकुमार आदि ने उससे गाली गलौज व मारपीट की। जिसकी शिकायत पुलिस से की गई। आचार्य बंधु ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शिकायत का संज्ञान न लेते हुए राजकुमार की तहरीर पर उसके विरुद्ध ही धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया। आरोप था कि तत्कालीन थाना प्रभारी भौराकला वीरेन्द्र कसाना ने उससे 50 हजार रुपये रिश्वत की मांग की। न देने पर उसको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
पूर्व शिक्षक आचार्य बंधु ने सभी आरोप दोहराते हुए सीजेएम कोर्ट में सीआरपीसी 156-(3) में प्रार्थना पत्र देकर तत्कालीन थाना प्रभारी भोराकला सहित 6 अन्य के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने कली गुहार लगाई। आचार्य बंधु के अधिवक्ता अजय पुंडीर ने बताया कि तत्कालीन सीजेएम रविकांत यादव ने सुनवाई के बाद 19 जून 2020 को आचार्य बंधु का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
आचार्य बंधु के अधिवक्ता अजय पुंडीर ने बताया कि उनकी और से सीजेएम के प्रार्थना पत्र खारिज किये जाने के निर्णय को सेशन कोर्ट में चुनौती देते हुए पुनर्सुनवाई की गुहार लगाई गई थी। जिसके बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जय सिंह पुंडीर ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने आचार्य बंधु के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सीजेएम के 19 जून 2020 के दिये गए आदेश को खारिज कर दिया। उन्होंने सीजेएम कोर्ट को पुनः सुनवाई के लिए आदेशित किया।