मुजफ्फरनगर। जिले की चीनी मिलों और कोल्हुओं पर गन्ने का संकट दिखने लगा है। चीनी मिलों को प्रतिदिन क्षमता से एक लाख क्विंटल कम गन्ना मिल रहा है। कोल्हू चीनी मिलों से अधिक दाम पर गन्ना खरीद रहे हैं, इसके बाद भी उनके सामने गन्ने का संकट बन रहा है।
जिले में गुड़ का उत्पादन आधा हो गया है। प्रत्येक सत्र में गन्ना पेराई मार्च माह में सबसे ज्यादा होती रही है। गुड़ भंडारण भी मार्च माह में ही सबसे अधिक होता आया है। चीनी मिले भी पूरी क्षमता से चलती आई है। इस बार चीनी मिलों में साढ़े छह लाख क्विंटल प्रतिदिन के स्थान पर पांच लाख से साढ़े पांच लाख क्विंटल गन्ना ही प्रतिदिन आ रहा है।
जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसोदिया का कहना है कि गत वर्ष के मुकाबले लगभग एक लाख क्विंटल कम गन्ना चीनी मिलों में आ रहा है। इस बार खेतों में कम उत्पादन का असर दिखाई दे रहा है। जिले के कोल्हुओं में भी यही स्थिति बनी है। कोल्हू संचालक 375 से से 385 रुपये प्रति क्विंटल तक गन्ना खरीद रहे हैं। कोल्हू संचालक कृष्णपाल कश्यप, यामीन आदि का कहना है कि अधिक दाम देने के बाद नियमित गन्ना नहीं मिल पा रहा है। गुड़ का उत्पादन इस बार प्रभावित हुआ है।
एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर में मार्च माह में गुड़ की आपूर्ति आधे से भी कम चल रही है। प्रतिदिन यहां आठ हजार गुड़ के कट्टों का औसत रहता है। यह अब तीन से चार हजार कट्टों के बीच सिमट गया है। गन्ने के कम उत्पादन का असर चीनी और गुड़ दोनों पर दिखाई देने लगा है। गुड़ मंडी के मंत्री श्याम सिंह सैनी का कहना है कि कोल्हुओं पर कम गन्ना आने के कारण मंडी में गुड़ की आवक आधी रह गई है।
जिले के शीतगृहों में गत वर्ष इस समय तक दस लाख 13 हजार 485 गुड़ के कट्टों का भंडारण हुआ था। इस बार यह आठ लाख 75 हजार 593 ही हो पाया है। जिले में इस बार एक लाख 37 हजार 892 गुड़ के कट्टों का कम भंडारण है। गुड़ मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि मंडी में प्रतिदिन आठ हजार से अधिक गुड़ के कट्टों की आवक होती थी। इस बार मार्च माह में लगभग तीन हजार के लगभग की आवक है। जिले से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों में गुड़ की सप्लाई की जाती है।