बिजनौर। शरीर में फंसी गोली से कराह रही शिक्षिका डाॅक्टर से बचाने की गुहार लगाते-लगाते 32 घंटे 51 मिनट तक मौत से लड़ती रहीं। मगर, डाॅक्टर भी उसे बचा नहीं सके। ऑपरेशन होने के बाद भी उसकी गोली को निकाला नहीं जा सका था। आखिरकार वह जिंदगी की जंग हारकर दुनिया को अलविदा कह गई। कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एकतरफा प्यार करने वाले अपने ही छात्र का प्रपोज स्वीकार नहीं किया था।
बिजनौर में शुक्रवार को हर रोज की तरह शहर के मोहल्ला निवासी 25 वर्षीय युवती कंप्यूटर सेंटर में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पहुंची थी। तभी कुछ ही देर बाद पुन: अभ्यास के नाम पर कक्षा में घुसे छात्र प्रशांत पुत्र लवकुश निवासी शादीपुर ने तमंचे से गोली मार दी और फरार हो गया। शिक्षिका को अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे मेरठ रेफर कर दिया गया था।
वहीं, शुक्रवार को ही उसका ऑपरेशन किया गया। काफी खून बह जाने की वजह से उसे खून भी दिया गया। इलाज के दौरान खून बहना तो बंद हो गया था, मगर गोली को नहीं निकाला जा सका था। करीब 32 घंटे 51 मिनट तक जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद उसने दम तोड़ दिया।
उधर, पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने वारदात में प्रयुक्त तमंचा चार साल पहले युवक रचित से खरीदा था। पुलिस आरोपी प्रशांत के पिता लवकुश को भी हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। छात्र प्रशांत कंप्यूटर सेंटर में कोर्स करने के पहुंचा था, जिसका कोर्स साल 2022 में पूरा हो गया। इसी बीच वह शिक्षिका से एकतरफा प्यार करने लगा था। कई बार उसने प्रपोज किया, मगर हर बार शिक्षिका मना कर देती थी।
कंप्यूटर सेंटर की कक्षा में घुसकर शिक्षिका को गोली मारने के बाद से ही विद्यार्थियों में खौफ पैदा हो गया था। यहीं कारण रहा कि शनिवार को सेंटर की कक्षाओं में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति कम नजर आई। वहीं शिक्षक शिक्षिकाओं के बीच भी इस वारदात को लेकर चर्चाएं होती रहीं।
शनिवार को शहर कोतवाली पुलिस ने पकड़े गए आरोपी का चालान जानलेवा हमले की धाराओं में किया गया। दरअसल, चालान होने के समय तक शिक्षिका अस्पताल में भर्ती और जिंदा थी। चालान होने के कुछ घंटे बाद ही शिक्षिका की मौत की खबर पहुंच गई। अब पुलिस जानलेवा हमले के केस को हत्या की धारा में तरमीम करेगी।
शिक्षिका को गोली मारने के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसे जेल भेज दिया गया है। हालांकि, बेहतर इलाज दिलाने के बाद भी शिक्षिका को बचाया नहीं जा सका। – संजीव वाजपेयी, एएसपी सिटी