वाराणसी । अपनी मेहनत और जज्बे से महिलाओं ने आज हर क्षेत्र में अपनी सफलता के दस्तखत किए हैं। हालात भले विपरीत हों लेकिन उन्होंने अपने जिद और जुनून से खुद को साबित किया। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम ऐसी कुछ महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं ।
मिर्जापुर के छोटे से गांव कुरकुठिया की रहने वाले लेफ्टिनेंट बिटिया साक्षी दुबे भारतीय सेना के तोपखाना (आर्टिलरी) रेजिमेंट में शामिल पांच महिला अधिकारियों में से एक हैं। वे इस समय तोप से दुश्मनों के छक्के छुड़ा रही हैं। मिर्जापुर जिले के देहात कोतवाली क्षेत्र के छोटे से गांव कुरकुठिया निवासी मेजर दिनेश कुमार दुबे की 22 वर्षीय पुत्री साक्षी दुबे की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल पुणे में हुई। वर्ष 2018 में इंटर पास होने के बाद साक्षी ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से इतिहास विषय में स्नातक की शिक्षा ली। पिता मेजर हैं और माता संध्या गृहिणी हैं।
साक्षी ने 2022 में कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (सीडीएस) की परीक्षा पास की। सर्विस सेलेक्शन बोर्ड में चले कठिन इंटरव्यू के बाद आर्मी में लेफ्टिनेंट के लिए साक्षी का चयन हुआ। साक्षी के प्रशिक्षण तक तोपखाना (आर्टिलरी) रेजिमेंट में महिला अधिकारियों की तैनाती नहीं थी। 2023 में तोपखाना रेजिमेंट में महिला अधिकारियों को शामिल करने की तैयारी चल रही थी। इस बीच साक्षी ने प्रशिक्षण में बेहतर रैंक प्राप्त की। इसलिए उनको तोपखाना रेजिमेंट में शामिल किया गया।
जौनपुर राज घराने की राजिका राजशाही शानोशौकत छोड़कर फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में अपना कॅरिअर बनाकर नाम कमा रही हैं। राजिका थरेजा जौनपुर रियासत के 12वें कुंवर अवनिंद्र दत्त की बड़ी बेटी हैं। जौनपुर और लखनऊ में तमाम संपत्ति होने के बाद भी वे दिल्ली में अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं।
राजिका का नाम दिल्ली के मशहूर फैशन डिजाइनरों में गिना जाता है। आज वे अपना खुद का ऑनलाइन स्टोर चलाती हैं। बता दें कि कुंवर अवनिंद्र दत्त को कोई पुत्र नहीं है, केवल दो पुत्रियां हैं। इनकी संपत्ति की वारिस इनकी दोनों लड़कियां ही हैं। 1995 में निफ्ट से पीजी डिप्लोमा करने के बाद मुंबई की मशहूर फैशन डिजाइनर रीना ढाका की सहायिका बनीं।
तीन साल रीना ढाका की टीम का हिस्सा बनने के बाद वे नूरजहां नाम की टेक्सटाइल कंपनी का हिस्सा बनीं। यहीं पर क्रिएटिव डायरेक्टर बनकर अब इस कंपनी का नेतृत्व कर रही हैं। 2018 में राजिका ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। राजिका अपना खुद का ऑनलाइन स्टोर चलाती हैं।
सौम्या पांडेय एआरटीओ हैं। वो संत कबीरनगर की मूल निवासी हैं। वे कहती हैं मेरे पिता हरिराम पांडेय पेशे से किसान और मां गृहिणी थी। पढ़ाई में अच्छी होने के कारण परिवार का साथ मिला और उन्होंने वर्ष 2021 की पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पहले वे बैंक, सेल्सटैक्स ऑफिसर के रूप में भी काम कर चुकी हैं।
वो दिन में ऑफिस तो रात में ट्रकों की चेकिंग करने निकल जाती हैं। इस दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कहती हैं आज महिलाएं किसी से कमजोर नहीं हैं। वो बस अपनी ताकत को पहचानें। पढ़ाई पर ध्यान दें। अपने फैसले स्वयं लें। तब तक कोशिश करें जब तक की सफलता न मिल जाए।
कौशांबी निवासी तारावती इस समय भुड़कुड़ा थानाध्यक्ष हैं। पुलिस महकमे में इनकी अलग पहचान है। इनके पति रामराज यादव कन्नौज में थानाध्यक्ष थे। 16 सितंबर 2006 की फरुखाबाद में बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान उनके पति शहीद हो गए। उस समय बेटी तीन साल और बेटे की उम्र पांच साल थी। उस वक्त तारावती स्नातक अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं।
पति की मौत के बाद परिवार को चलाने की जिम्मेदारी उन पर आन पड़ी। इसे संभालते हुए 2010 में पुलिस विभाग में एसआई के रूप में तैनात हुईं। वो जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर समेत कई जनपदों में तैनात रह चुकी है और बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं। कुछ माह पहले हुए एक मुठभेड़ में भी शामिल थीं।